नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने चीन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वह जानबूझकर अमेरिकी सोयाबीन किसानों से खरीदारी नहीं कर रहा है. ट्रंप ने इसे “आर्थिक दुश्मनी” करार देते हुए चीन के साथ खाद्य तेल और अन्य व्यापारिक रिश्तों को खत्म करने की धमकी दी है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर कहा, “हम आसानी से खाद्य तेल खुद बना सकते हैं, हमें इसके लिए चीन की जरूरत नहीं.”
यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका में सोयाबीन की कटाई शुरू हो चुकी है, लेकिन चीन ने इस बार एक भी खरीदारी नहीं की है. इसके चलते सोयाबीन की कीमतें गिर रही हैं और अमेरिकी किसान संकट में हैं.
चीन कभी अमेरिकी सोयाबीन का सबसे बड़ा खरीदार था, लेकिन अब वह दक्षिण अमेरिका से सोयाबीन खरीद रहा है. सितंबर में अकेले अर्जेंटीना से 20 लाख टन सोयाबीन खरीदा गया. चीन के इस कदम को ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए नए टैरिफ के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है.
अमेरिका दुनिया के 61% सोयाबीन का निर्यात करता है. पिछले साल चीन ने 1.05 लाख करोड़ रुपये के सोयाबीन खरीदे थे. इस बार आयात बंद होने से मिडवेस्ट के किसान फसल का भंडारण करने को मजबूर हैं, क्योंकि बाजार में कीमतें लगातार गिर रही हैं. ट्रंप के टैरिफ ने उर्वरक और उपकरणों की लागत भी बढ़ा दी है, जिससे किसानों का मुनाफा कम हो रहा है.
चीन की इस रणनीति को पहले दुर्लभ खनिजों (रेयर अर्थ) के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की रणनीति से जोड़ा जा रहा है, जब उसने व्यापार युद्ध में दबाव बनाने के लिए ऐसा किया था. अब सोयाबीन इस खेल का नया हथियार बन गया है.
यह विवाद केवल सोयाबीन तक सीमित नहीं है. चीन की रणनीति पहले की तरह है, जब उसने दुर्लभ खनिजों को ट्रेड वॉर में हथियार बनाया था. सोयाबीन भले ही दुर्लभ खनिजों जितना अनूठा नहीं है, लेकिन यह चीन के सुअर और पोल्ट्री उद्योग के लिए जरूरी है. फिर भी, चीन ने दक्षिण अमेरिका से आयात बढ़ाकर अमेरिका पर दबाव बनाने की रणनीति से ट्रंप को स्पष्ट संदेश दे दिया है.
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