शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार हरित पट्टी (ग्रीन बेल्ट) क्षेत्र में निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दायर करेगी. सुप्रीम कोर्ट में यह मामला 28 अक्टूबर को लगा है. सरकार ने इसके लिए विभिन्न विभागों में नोडल अधिकारियों की तैनाती की है.
अतिरिक्त मुख्य सचिव वन केके पंत ने विभागों में नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए थे. इन नोडल अधिकारियों को 8 अक्टूबर तक विभागीय जवाब तैयार कर भेजने के निर्देश दिए गए हैं.
वन विभाग सभी विभागों के जवाब का आकलन करेगा और उसके बाद महाधिवक्ता के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त चार वकीलों को यह रिपोर्ट दी जाएगी.
वन विभाग, राज्य लोक निर्माण विभाग, ग्राम एवं नगर नियोजन विभाग, शहरी विकास विभाग के अलावा कुछ अन्य विभाग भी अपना जवाब देंगे. ये विभाग अपनी नीति बताएंगे कि वे हरित क्षेत्र के अलावा अन्य स्थानों पर निर्माण के लिए क्या नियम अपनाते हैं.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त चार वरिष्ठ वकीलों को यह रिपोर्ट दी जाएगी, जो सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हिमाचल का पक्ष रखेंगे. बताया जा रहा है कि 28 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होगी और हिमाचल की तरफ से दिए गए पक्ष पर चर्चा की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, “नक्शे से मिट जाएगा हिमाचल”
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान हिमाचल में बेतरतीब निर्माण और अनियमित विकास पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि ऐसे तो हिमाचल नक्शे से ही मिट जाएगा. बरसात के दिनों में जिस तरह से बादल फटने की घटनाएं हुईं, उससे साफ है कि प्रदेश में कितना खतरा है और यहां कभी भी प्राकृतिक आपदाओं से बड़ा नुकसान हो सकता है.
यहां से शुरू हुआ था मामला
यह मामला सुप्रीम कोर्ट में शिमला के तारादेवी क्षेत्र से शुरू हुआ था. यहां सरकार ने निर्माण की इजाजत नहीं दी है, क्योंकि सरकार ने इस पूरे क्षेत्र को हरित क्षेत्र घोषित किया है. निर्माण की अनुमति से जुड़ा मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था, जहां सरकार ने अपना पक्ष रखा था. कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार का यह निर्णय अच्छा है और सरकार को इस तरह की रोक जारी रखनी चाहिए.
कोर्ट ने यह भी पूछा है कि जो विभाग निर्माण कार्यों से जुड़े हुए हैं और नीतियां निर्धारित करते हैं, उनकी क्या नीति है, ताकि प्रदेश में अनियमित निर्माण को रोका जा सके. सुप्रीम कोर्ट ने चार वरिष्ठ वकीलों को हिमाचल से पक्ष जानने और अपनी टिप्पणी उस पर देने के निर्देश दे रखे हैं, लिहाजा यहां प्रदेश सरकार के निर्देशों पर वन विभाग ने इन विभागों में नोडल अधिकारी लगाए हैं.