नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने शुक्रवार को दिल्ली में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सी.आर. पाटिल से उनके आवास पर मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने जल शक्ति विभाग को पिछले तीन वर्षों में लगभग 4000 करोड़ रुपये के नुकसान की जानकारी दी।
अग्निहोत्री ने केंद्रीय मंत्री से मानसून के दौरान राज्य में हुई भारी प्राकृतिक आपदा के मद्देनजर हिमाचल प्रदेश की ओर उदारता का हाथ बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राज्य को हुआ नुकसान अभूतपूर्व था और इसका भारी खामियाजा राज्य के जल शक्ति विभाग को भुगतना पड़ा है।
उन्होंने केंद्रीय मंत्री को बताया कि अकेले इस साल जल शक्ति विभाग को 1291.51 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। उन्होंने जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत चल रही योजनाओं को पूरा करने के लिए 1227 करोड़ रुपये की धनराशि जारी करने का आग्रह किया।
अग्निहोत्री ने बाढ़ और भारी आपदा के कारण हिमाचल प्रदेश को गंभीर स्थिति का सामना करने के मद्देनजर पोस्ट डिजास्टर नीड असेसमेंट (पीडीएनए) के तहत धनराशि जारी करने की वकालत की। उन्होंने बहाली के कार्यों में तेजी लाने के लिए पीडीएनए के तहत मानदंडों में ढील देने पर भी जोर दिया और प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के तहत चल रही सिंचाई परियोजनाओं के लिए केंद्रीय सहायता जारी करने पर भी प्राथमिकता से जोर दिया।
केंद्रीय मंत्री को अवगत कराया गया कि अब तक, वर्ष 2023 के लिए जल आपूर्ति क्षेत्र के लिए अनुमोदित 697 करोड़ रुपये में से केवल 100 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए हैं, जबकि अकेले वर्ष 2023 में 2132.70 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। उन्होंने टिप्पणी की कि यह बहाली कार्यों की प्रगति में बाधा डाल रहा है।
उपमुख्यमंत्री ने ऊना के हरोली ब्लॉक के विभिन्न समूहों में कमांड एरिया डेवलपमेंट के आधुनिकीकरण के लिए एक योजना को शीघ्र मंजूरी देने का भी आग्रह किया, जिसकी अनुमानित लागत 9778.00 लाख रुपये है, जिसके लिए केंद्रीय मंत्री ने प्राथमिकता के आधार पर अपनी मंजूरी का आश्वासन दिया।
अग्निहोत्री ने पहले से ही स्वीकृत 11 बाढ़ सुरक्षा परियोजनाओं के लिए धनराशि शीघ्र जारी करने की वकालत की, क्योंकि नदी तटों के किनारे अधिकतम तबाही देखी गई है। उन्होंने कहा कि जल शक्ति विभाग ने केंद्रीय जल एवं विद्युत अनुसंधान केंद्र (सीडब्ल्यूपीआरएस) से मॉडल अध्ययन करने के बाद चैनललाइजेशन के लिए 1795 करोड़ रुपये की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की है और केंद्रीय मंत्री से इसे जल्द से जल्द जारी करने का अनुरोध किया है। उन्होंने ब्यास नदी के चैनललाइजेशन की आवश्यकता पर भी जोर दिया, इसकी रणनीतिक महत्वता को देखते हुए क्योंकि कुल्लू-मनाली हवाई अड्डा, चंडीगढ़-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग इस नदी के किनारे स्थित है। उन्होंने आगे कहा कि इस नदी के चैनललाइजेशन से पर्यटकों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित होगी और साथ ही कुल्लू और लाहौल घाटी से बागवानी उत्पादों का परिवहन भी सुनिश्चित होगा।
केंद्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया कि वह इस मामले पर गौर करेंगे और मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेंगे और निश्चित रूप से जनहित को पूरा करने वाली इन अत्यधिक आवश्यक परियोजनाओं के लिए वित्त को मंजूरी देंगे।