शिमला। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि सरकार में निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए, न कि केवल समय बर्बाद करने वाली। उन्होंने यह टिप्पणी कृषि मंत्री चंद्र कुमार द्वारा प्राकृतिक खेती से संबंधित नीति बनाने के प्रस्ताव पर दिए गए उत्तर के बाद की। मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि उन्हें रोकने की कई कोशिशें की गईं, लेकिन वह अपने लक्ष्य से नहीं हटेंगे। उनका स्पष्ट उद्देश्य 2027 तक हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर और 2032 तक देश का सबसे अमीर राज्य बनाना है।
सुक्खू ने कहा कि उनकी सरकार हर क्षेत्र में त्वरित निर्णय लेती है, जबकि पूर्व सरकार निर्णय लेने में असमर्थ थी। उन्होंने बताया कि सभी मंत्रियों के विभागों में ‘व्यवस्था परिवर्तन’ हो रहा है। उन्होंने यहां तक कहा कि यदि किसानों और बागबानों के हित में आवश्यकता पड़ी, तो विधायक निधि में कटौती करने का भी निर्णय लिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने ‘प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना’ का नया नाम ‘राजीव गांधी प्राकृतिक खेती’ रखने की घोषणा की।
3000 टैक्सियां ई-टैक्सी में होंगी परिवर्तित, युवाओं को 40% अनुदान
मुख्यमंत्री ने सदन में एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि तीन हजार टैक्सियों को ई-टैक्सी में परिवर्तित किया जाएगा। इस योजना के तहत युवाओं को 40 प्रतिशत का अनुदान मिलेगा, और इसमें ग्रामीण युवाओं को भी शामिल किया जाएगा। उन्होंने रेखांकित किया कि शिक्षा और स्वास्थ्य के बाद ग्रामीण अर्थव्यवस्था तीसरा महत्वपूर्ण केंद्र बिंदु है, और किसानों को खुशहाल बनाना उनकी सरकार का मुख्य उद्देश्य है।
प्राकृतिक खेती की देखरेख के लिए विशेष अधिकारी
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग में अतिरिक्त निदेशक स्तर का एक विशेष अधिकारी नियुक्त किया जाएगा, जो इस योजना की देखरेख करेगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि अगले वर्ष इस योजना का स्वरूप और अधिक विकसित होगा। उन्होंने यह भी जिक्र किया कि केंद्र सरकार द्वारा पुरानी पेंशन योजना (OPS) लागू करने के कारण 1600 करोड़ रुपये की अतिरिक्त उधारी बंद कर दी गई है। सुक्खू ने दृढ़ता से कहा कि प्राकृतिक खेती हिमाचल की तकदीर बदलने में सहायक होगी।
किसानों के आत्मनिर्भर बनने में प्राकृतिक खेती जरूरी: चंद्र कुमार
कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने मुख्यमंत्री की बात का समर्थन करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती न केवल बीमारियों को दूर करती है, बल्कि किसानों के आत्मनिर्भर बनने के लिए भी आवश्यक है। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती के उत्पादों के लिए तीन बार परीक्षण किया जाता है और उसके बाद ही प्रमाणित किया जाता है। इसके साथ ही, नौणी और पालमपुर में प्राकृतिक खेती की जांच के लिए प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी। चंद्र कुमार ने यह भी बताया कि दवा उत्पादकों को हल्दी और अन्य प्राकृतिक उत्पादों के लिए बाजार तलाशने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे किसानों को बेहतर दाम मिल सके। इसके अतिरिक्त, आंगनबाड़ी और छात्रावासों में प्राकृतिक उत्पाद उपलब्ध कराने की योजना भी बनाई जा रही है, ताकि स्वस्थ भोजन को बढ़ावा दिया जा सके।
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