नैनीताल। नैनीताल में जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव बुधवार को एक हाई-वोल्टेज राजनीतिक और कानूनी जंग में तब्दील हो गया। कांग्रेस समर्थित पांच जिला पंचायत सदस्यों को कथित तौर पर मतदान के लिए जाते समय माल रोड से अगवा कर लिए जाने के बाद यह पूरा मामला उत्तराखंड उच्च न्यायालय पहुंच गया। इस घटना के बाद नैनीताल में भारी तनाव फैल गया, समर्थकों के बीच लात-घूंसे चले और पुलिस को कई मार्ग बंद करने पड़े।
मामले की गंभीरता को देखते हुए, मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने इस पर तत्काल सुनवाई की।
हाईकोर्ट ने दिए सख्त निर्देश
कांग्रेस नेताओं द्वारा मामले को कोर्ट में उठाए जाने के बाद, खंडपीठ ने नैनीताल के जिलाधिकारी (DM) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से तत्काल पेश होने का आदेश दिया। करीब दस मिनट बाद अधिकारियों के पेश होने पर कोर्ट ने उन्हें कई कड़े निर्देश जारी किए:
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शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करें: कोर्ट ने अधिकारियों को हर हाल में मतदान प्रक्रिया को शांतिपूर्वक संपन्न कराने का आदेश दिया।
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सदस्यों को सुरक्षा दें: जो दस जिला पंचायत सदस्य न्याय की गुहार लगाने कोर्ट पहुंचे थे, उन्हें पुलिस सुरक्षा में मतदान स्थल तक पहुंचाने का निर्देश दिया गया। इसकी जिम्मेदारी हाईकोर्ट के सुरक्षा अधिकारी राकेश बिष्ट को सौंपी गई।
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‘अगवा’ सदस्यों को तलाशें: कोर्ट ने पुलिस को सबसे महत्वपूर्ण निर्देश देते हुए कहा कि कथित रूप से अगवा किए गए पांचों सदस्यों को तुरंत तलाश कर मतदान के लिए लाया जाए।
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मतदान का समय बढ़ाएं: सदस्यों को लाने में लगने वाले समय को देखते हुए, कोर्ट ने मतदान का समय बढ़ाने का भी निर्देश दिया।
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शाम तक रिपोर्ट दें: कोर्ट ने डीएम और एसएसपी को इन सभी निर्देशों के अनुपालन की रिपोर्ट शाम 4:30 बजे तक पेश करने का आदेश दिया।
क्या है पूरा मामला?
विवाद की शुरुआत तब हुई जब कांग्रेस ने आरोप लगाया कि उनकी जिला पंचायत अध्यक्ष पद की उम्मीदवार पुष्पा नेगी के समर्थक पांच जिला पंचायत सदस्यों को भाजपा कार्यकर्ताओं ने पुलिस की मदद से उस समय अगवा कर लिया, जब वे मतदान के लिए जा रहे थे। इस घटना के वीडियो भी इंटरनेट मीडिया पर खूब वायरल हुए। इस घटना के बाद मतदान स्थल पर अफरातफरी मच गई और समर्थकों के बीच मारपीट भी हुई।
इस घटनाक्रम से क्षुब्ध होकर, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व विधायक संजीव आर्य, हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश, खटीमा विधायक भुवन कापड़ी, प्रत्याशी पुष्पा नेगी और दस अन्य जिला पंचायत सदस्यों ने चुनाव प्रक्रिया का बहिष्कार कर दिया और सैकड़ों समर्थकों के साथ न्याय की गुहार लगाने सीधे उच्च न्यायालय पहुंच गए।
पुष्पा नेगी की ओर से कोर्ट में कहा गया कि उनके सदस्यों को विपक्षी समर्थकों ने अगवा किया है, उन्हें तुरंत तलाशा जाए और सभी सदस्यों को सुरक्षा प्रदान की जाए। इस मामले ने एक स्थानीय चुनाव को पूरे प्रदेश में एक बड़े राजनीतिक टकराव का रूप दे दिया है, जिस पर अब सीधे उच्च न्यायालय की नजर है।
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