लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानमंडल के मानसून सत्र के अंतिम दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘विकसित भारत, विकसित उत्तर प्रदेश-2047’ विजन डॉक्यूमेंट पर चर्चा के दौरान विपक्ष, विशेषकर समाजवादी पार्टी पर, जोरदार हमला बोला। उन्होंने सपा के ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) नारे को एक नई और व्यंग्यात्मक परिभाषा देते हुए इसे ‘परिवार डेवलपमेंट अथॉरिटी’ करार दिया और विपक्ष की सोच को संकीर्ण और परिवारवाद तक सीमित बताया।
गुरुवार को विधानसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी सरकार के भविष्य के दृष्टिकोण का खाका पेश किया। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र को ध्येय में रखकर वर्ष 2047 तक उत्तर प्रदेश को एक विकसित राज्य बनाने का संकल्प लिया है। हमने प्रदेश की आर्थिक प्रगति, सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण और बुनियादी ढांचे के विकास का एक विस्तृत रोडमैप तैयार किया है।”
इसके बाद उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का नाम लिए बिना उन्होंने कहा, “लोग आगे बढ़ रहे हैं और आप प्रदेश को ‘परिवार डेवलपमेंट अथॉरिटी’ का शिकार बनाना चाहते हैं।” उन्होंने अपनी सरकार की कार्यशैली की तुलना पिछली सरकारों से करते हुए कहा कि पहले केवल योजनाएं और घोषणाएं होती थीं, लेकिन हमारी सरकार में जिस काम का शिलान्यास होता है, उसका उद्घाटन और लोकार्पण भी होता है।
विपक्ष की सोच पर प्रहार करने के लिए सीएम योगी ने प्राचीन चार्वाक दर्शन के एक श्लोक का सहारा लिया:
“यावज्जीवेत सुखं जीवेद ऋणं कृत्वा घृतं पिवेत, भस्मीभूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुतः॥”
उन्होंने इस श्लोक का अर्थ समझाते हुए कहा, “इसका मतलब है कि जब तक जियो सुख से जियो, भले ही इसके लिए कर्ज लेकर घी क्यों न पीना पड़े। क्योंकि शरीर के भस्म हो जाने के बाद पुनर्जन्म कहाँ होता है।” इस भौतिकवादी दर्शन का उदाहरण देते हुए योगी ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि उनकी सोच केवल तात्कालिक सुख और व्यक्तिगत लाभ तक ही सीमित है, जबकि उनकी सरकार दूरगामी और सर्व-समावेशी विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
मुख्यमंत्री ने विपक्ष को ‘कूप मंडूक’ (कुएं का मेंढक) की संज्ञा देते हुए कहा कि उनकी दृष्टि परिवारवाद से आगे नहीं बढ़ पाती है। उन्होंने कहा, “दुनिया प्रतिस्पर्धा के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ रही है, लेकिन आप अभी भी अपने परिवार तक ही सीमित हैं।” मुख्यमंत्री के इस संबोधन ने न केवल सरकार के भविष्य के दृष्टिकोण को स्पष्ट किया, बल्कि विपक्ष के खिलाफ एक आक्रामक राजनीतिक लाइन भी तय कर दी।