देहरादून। मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन ने गंगा नदी के संरक्षण और कायाकल्प के लिए चल रहे कार्यों में हो रही देरी पर सख्त रुख अपनाते हुए अधिकारियों को सभी परियोजनाएं समयबद्ध तरीके से पूरी करने के कड़े निर्देश दिए हैं। शुक्रवार को सचिवालय में राज्य गंगा समिति की 18वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि कार्यदायी संस्थाओं को तरल और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (लिक्विड एवं सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट) जैसे कार्यों को पूरी गंभीरता से लेना होगा।
रुके हुए STP निर्माण पर जताई नाराजगी
मुख्य सचिव ने जल निगम के अंतर्गत बन रहे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STPs) के निर्माण कार्यों में हो रही देरी पर विशेष नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कोटद्वार (पौड़ी गढ़वाल) और रुद्रप्रयाग (गौरीकुंड, तिलवाड़ा) में एसटीपी निर्माण के लिए भूमि हस्तांतरण में आ रही बाधाओं को एक महीने के भीतर निपटाने के निर्देश संबंधित जिलाधिकारियों को दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि एक माह में यह कार्य पूर्ण कराकर निर्माण शुरू किया जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने निर्देश दिया कि कोई भी नया एसटीपी बनाने से पहले इसके लिए गठित समिति की संस्तुति लेना अनिवार्य होगा।
मुख्य सचिव ने प्रदेश भर में सीवेज मैनेजमेंट की मौजूदा स्थिति और जरूरतों का पता लगाने के लिए एक विस्तृत ‘अंतर विश्लेषण’ (Gap Analysis) करवाने के भी निर्देश दिए हैं।
ऑनलाइन मॉनिटरिंग और स्लज मैनेजमेंट पर जोर
बैठक में मुख्य सचिव ने परियोजनाओं की निगरानी प्रणाली को पूरी तरह से ऑनलाइन करने के निर्देश दिए ताकि कार्यों की प्रगति पर实时 नज़र रखी जा सके। उन्होंने एसटीपी से निकलने वाले सह-उत्पाद (By-Product) के निस्तारण के लिए एक ठोस ‘स्लज मैनेजमेंट प्लान’ तैयार करना अनिवार्य बताया। इसके अलावा, प्रदेश में बची हुई 37 ‘लेगेसी वेस्ट’ साइटों को जल्द से जल्द साफ करने के लिए एक प्रभावी कार्य योजना प्रस्तुत करने को भी कहा गया।
मुख्य सचिव ने गंगा की सहायक नदियों के लिए ‘फ्लड प्लेन ज़ोनिंग’ और हाइड्रोलॉजिकल सर्वे के कार्यों में भी तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने जिला गंगा समितियों की बैठकें भी नियमित और अनिवार्य रूप से आयोजित कराने पर जोर दिया।
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