Bollywood: राजकुमार राव की याचिका पर हाईकोर्ट सख्त, पुलिस कमिश्नर से मांगा जवाब

चंडीगढ़।

फिल्म ‘बहन होगी तेरी’ के एक विवादास्पद पोस्टर को लेकर अभिनेता राजकुमार राव के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने पंजाब पुलिस को जालंधर के पुलिस आयुक्त के माध्यम से एक शपथ पत्र दाखिल कर जांच की मौजूदा स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। यह मामला सात साल पुराना है और धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोपों से जुड़ा है।

क्या है पूरा मामला?

यह पूरा विवाद वर्ष 2017 में रिलीज हुई फिल्म ‘बहन होगी तेरी’ के प्रचार के दौरान सामने आया था। फिल्म के एक पोस्टर में अभिनेता राजकुमार राव को भगवान शिव के वेश में मोटरसाइकिल पर बैठे हुए दिखाया गया था। इस पोस्टर को लेकर जालंधर में एक शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिसके आधार पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295ए (धार्मिक भावनाएं भड़काने की मंशा से किया गया कृत्य), 120बी (आपराधिक साजिश) और आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत FIR दर्ज की थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए अभिनेता के खिलाफ गैर-जमानती वारंट भी जारी किया गया था।

अभिनेता ने अपनी याचिका में क्या कहा?

हाल ही में, राजकुमार राव ने जालंधर की एक अदालत में आत्मसमर्पण किया था, जहाँ से उन्हें जमानत मिल गई। इसके बाद उन्होंने FIR को रद्द करवाने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया। अपनी याचिका में राव ने कई मजबूत दलीलें पेश की हैं। उनका कहना है कि धारा 295ए के तहत मामला बनाने के लिए ‘जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण इरादा’ होना अनिवार्य है, जो इस मामले में पूरी तरह से नदारद है।

याचिका में कहा गया है कि उन्होंने केवल एक अभिनेता के तौर पर अपना किरदार निभाया था। फिल्म में उनका चरित्र एक जागरण मंडली का हिस्सा है और भगवान शिव का रूप धारण करता है, जो कि एक कलात्मक प्रस्तुति है। उनका उद्देश्य किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था। इसके अलावा, राव की ओर से यह भी दलील दी गई कि फिल्म को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) से सर्टिफिकेट मिला था, जो साबित करता है कि इसकी सामग्री कानूनी तौर पर आपत्तिजनक नहीं है। साथ ही, उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत मिली अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का भी हवाला दिया।

हाईकोर्ट का कड़ा निर्देश

मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एन.एस. शेखावत ने पंजाब पुलिस को नोटिस जारी किया। अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिया कि जांच की स्थिति रिपोर्ट किसी सामान्य अधिकारी द्वारा नहीं, बल्कि स्वयं जालंधर के पुलिस आयुक्त द्वारा एक शपथ पत्र (Affidavit) के माध्यम से दाखिल की जाए। यह निर्देश मामले की गंभीरता और उच्च स्तरीय जवाबदेही सुनिश्चित करने की ओर इशारा करता है।

हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 8 अगस्त, 2025 की तारीख तय की है। अब सभी की निगाहें जालंधर पुलिस द्वारा दायर की जाने वाली स्टेटस रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो इस मामले की भविष्य की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएगी।

 

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