नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंगलवार को 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया से नई दिल्ली में मुलाकात की और राज्य की डांवाडोल वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए आयोग के सहयोग की पुरजोर मांग की। मुख्यमंत्री ने तर्क दिया कि पहाड़ी राज्यों की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण उन्हें विशेष वित्तीय सहायता की आवश्यकता है और केंद्रीय करों में उनका हिस्सा उनकी जनसंख्या के हिस्से से कम से कम दोगुना होना चाहिए।
इस महत्वपूर्ण बैठक के दौरान, मुख्यमंत्री सुक्खू ने डॉ. पनगढ़िया को राज्य की वित्तीय स्थिति का विस्तृत ब्योरा दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार वित्तीय अनुशासन के मार्ग पर चल रही है और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) सहित विभिन्न मानकों पर देश के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों में से एक है। इसके बावजूद, राज्य को अपनी विशिष्ट चुनौतियों के कारण केंद्र से विशेष समर्थन की आवश्यकता है। उन्होंने आयोग से राज्य की वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए अपनी सिफारिशों में हिमाचल का समर्थन करने का आग्रह किया।
राजस्व घाटा अनुदान (RDG) जारी रखने की मांग
मुख्यमंत्री ने राजस्व घाटा अनुदान (RDG) को जारी रखने की पुरजोर वकालत की। उन्होंने बताया कि 15वें वित्त आयोग द्वारा RDG में तेजी से कटौती करने के कारण राज्य एक गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य की विषम स्थलाकृति और राजस्व बढ़ाने के सीमित अवसरों को देखते हुए, यह अनुदान राज्य के लिए एक जीवन रेखा के समान है और इसे जारी रखा जाना चाहिए।
पहाड़ी राज्यों के लिए ‘ग्रीन फंड’ का प्रस्ताव
पर्यावरण संरक्षण में पहाड़ी राज्यों के योगदान को रेखांकित करते हुए, मुख्यमंत्री ने एक अलग ‘ग्रीन फंड’ बनाने का भी अनुरोध किया, जिसके लिए वार्षिक रूप से एक निश्चित राशि आवंटित की जाए। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा प्रधानमंत्री के साथ भी उठाया गया है। उनका तर्क था कि हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य पूरे देश को स्वच्छ हवा और पानी जैसी पारिस्थितिक सेवाएं प्रदान करते हैं, जिसकी लागत उन्हें वहन करनी पड़ती है। इसलिए, उन्हें इस “ग्रीन कवर” को बनाए रखने के लिए मुआवजा दिया जाना चाहिए।
अन्य प्रमुख मांगें
इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने आयोग को आपदा प्रबंधन, ऋण के जाल से राहत, स्थानीय निकायों के लिए अनुदान और राज्य-विशिष्ट अनुदानों के लिए राज्य द्वारा दिए गए सुझावों से भी अवगत कराया और इन सिफारिशों को स्वीकार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्यों में मैदानी राज्यों की तुलना में बुनियादी ढांचे और सेवाओं पर कहीं अधिक खर्च होता है, जिसे वित्त आयोग को अपनी गणना में उचित महत्व देना चाहिए।
16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने मुख्यमंत्री को राज्य की सभी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने और हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया।
इस महत्वपूर्ण बैठक में मुख्यमंत्री के साथ मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना और मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार राम सुभग सिंह भी उपस्थित थे। अब सभी की निगाहें 16वें वित्त आयोग की सिफारिशों पर टिकी हैं, जो हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों के भविष्य के वित्तीय स्वास्थ्य को निर्धारित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।