धर्मशाला/शिमला। बॉलीवुड से राजनीति में कदम रखने वाली अभिनेत्री और मंडी संसदीय क्षेत्र की नवनिर्वाचित सांसद कंगना रनौत, चुनाव जीतने के बाद से ही अपने काम से ज्यादा अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं। एक के बाद एक दिए गए उनके बयानों ने न केवल उनके मतदाताओं को निराश किया है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या वह एक जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारियों को समझने में विफल हो रही हैं।
पहला विवाद: “यह मुख्यमंत्री का काम है, मुझे न बताएं”
हाल ही में, कंगना का एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से प्रसारित हुआ, जो मंडी त्रासदी से पहले उनके कुल्लू दौरे का है। इस वीडियो में, स्थानीय लोग उन्हें पार्वती विद्युत परियोजना से जुड़ी अपनी समस्याएं बता रहे हैं। बड़ी उम्मीद से अपनी सांसद के पास पहुंचे लोगों को कंगना यह कहते हुए नजर आ रही हैं, “यह मुख्यमंत्री का काम है, मुझे न बताएं। यह मेरा काम नहीं है।” हैरानी की बात यह है कि इस दौरान स्थानीय विधायक सुरेंद्र शौरी भी उनके साथ मौजूद थे, लेकिन सांसद ने लोगों को सीधे सीएम के पास जाने की सलाह देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।
दूसरा विवाद: “राजनीति में मजा नहीं आ रहा, लोग सड़क-नाली की समस्या लाते हैं”
इससे पहले एक यूट्यूब पॉडकास्ट में कंगना यह कहकर विवाद खड़ा कर चुकी हैं कि उन्हें राजनीति में मजा नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा कि लोग उनके पास सड़क और नालियों जैसी छोटी-मोटी समस्याएं लेकर आते हैं, जबकि यह काम तो एक पंचायत प्रधान का है। उन्होंने सवाल किया कि एक सांसद इसमें क्या कर सकती है। उनके इस बयान की यह कहकर आलोचना हुई कि एक सांसद का काम ही जमीनी स्तर पर लोगों की समस्याओं को सुनकर उन्हें राष्ट्रीय पटल पर उठाना और उनका समाधान करवाना होता है।
तीसरा विवाद: “कैबिनेट रैंक नहीं, तो मदद कैसे करूं?”
सबसे संवेदनशील बयान उन्होंने हाल ही में मंडी में बादल फटने से आई भीषण त्रासदी के दौरान दिया। जब वह आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने पहुंचीं और पीड़ित लोगों ने उनसे मदद की गुहार लगाई, तो कंगना ने अपनी बेबसी जाहिर कर दी। उन्होंने कहा, “न तो मेरे पास कैबिनेट रैंक है, न ही कोई बजट और न ही अधिकारी। ऐसे में मैं आप लोगों की मदद कैसे कर सकती हूं?” एक सांसद से ऐसी निराशाजनक प्रतिक्रिया ने पीड़ितों और आम जनता को स्तब्ध कर दिया, क्योंकि संकट के समय एक जनप्रतिनिधि से सांत्वना और हर संभव मदद का आश्वासन देने की उम्मीद की जाती है।
चौथा विवाद: राजनीति को बताया ‘महंगा शौक’
इसके अतिरिक्त, एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने राजनीति को “सबसे महंगा शौक” और “दुर्व्यवहार वाला पेशा” बताकर भी विवाद को जन्म दिया। हालांकि इस दौरान उन्होंने भाजपा और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की तारीफ की, लेकिन राजनीति को एक ‘शौक’ कहना, सार्वजनिक सेवा की गंभीरता पर सवाल उठाता है।
इन तमाम बयानों ने एक श्रृंखला बना दी है, जिससे यह धारणा मजबूत हो रही है कि कंगना रनौत सांसद की भूमिका और उसकी जिम्मेदारियों को लेकर गंभीर नहीं हैं। उनके बयानों ने न केवल उनकी अपनी राजनीतिक समझ पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि उनकी पार्टी को भी असहज स्थिति में डाल दिया है।
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