लखनऊ। उत्तर प्रदेश की बेसिक शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बड़ा और स्पष्ट निर्देश जारी किया है। सोमवार को बेसिक शिक्षा विभाग की एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में, मुख्यमंत्री ने परिषदीय विद्यालयों को आपस में जोड़ने (पेयरिंग) की व्यवस्था को “शिक्षा सुधार की मजबूत नींव” बताते हुए इसे प्रभावी ढंग से लागू करने का निर्देश दिया। साथ ही, उन्होंने यह भी साफ कर दिया है कि जिन विद्यालयों में 50 से अधिक छात्र पंजीकृत हैं, उन पर ताला नहीं लगेगा और वे स्वतंत्र रूप से ही संचालित किए जाएंगे।
क्या है पेयरिंग व्यवस्था और क्यों हुआ बदलाव?
दरअसल, प्रदेश में कम छात्र संख्या वाले प्राथमिक विद्यालयों को पास के अधिक नामांकन वाले स्कूलों के साथ विलय करने की प्रक्रिया चल रही है। सरकार का तर्क है कि इस व्यवस्था से शिक्षकों और संसाधनों का समुचित उपयोग संभव होगा, जिससे छात्रों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकेगी। हालांकि, इस व्यवस्था का कई जगहों पर विरोध भी हो रहा था, क्योंकि कुछ ऐसे स्कूलों को भी विलय की सूची में डाल दिया गया था, जहां छात्रों की संख्या संतोषजनक थी।
इन्हीं चिंताओं को दूर करते हुए मुख्यमंत्री ने अब यह स्पष्ट कर दिया है कि 50 छात्रों की सीमा एक मानक होगी। 50 से अधिक छात्र संख्या वाले विद्यालय स्वतंत्र रूप से काम करेंगे ताकि वहां प्रशासनिक व्यवस्था, शिक्षकों की जवाबदेही और शैक्षणिक निगरानी को बेहतर बनाया जा सके। आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में अब तक 50 से कम छात्र संख्या वाले 10,827 विद्यालयों का विलय किया जा चुका है। इनमें से कुछ स्कूलों में 20 से भी कम बच्चे थे, जबकि 58 विद्यालय ऐसे थे जिनमें एक भी छात्र नामांकित नहीं था।
अन्य महत्वपूर्ण निर्देश
समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए कई अन्य अहम निर्देश भी दिए:
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शिक्षक भर्ती: शिक्षक-छात्र अनुपात को संतुलित रखने के लिए रिक्त पदों को जल्द भरने और समयबद्ध रूप से नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया गया।
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स्कूल चलो अभियान: ‘स्कूल चलो अभियान’ को और प्रभावी बनाने पर जोर देते हुए कहा गया कि छह से 14 वर्ष की आयु का कोई भी बच्चा स्कूल से वंचित न रहे।
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डीबीटी भुगतान: छात्रों को यूनिफार्म, जूता-मोजा, स्टेशनरी और किताबों के लिए दी जाने वाली 1200 रुपये की राशि को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से समय पर अभिभावकों के खातों में भेजने को कहा गया।
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बुनियादी सुविधाएं: जिन विद्यालयों में भवन, शौचालय, बिजली या फर्नीचर जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी है, वहां तत्काल संसाधन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए।
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खाली भवनों का उपयोग: मुख्यमंत्री ने दोहराया कि विलय के बाद खाली हुए विद्यालय भवनों को बेकार नहीं छोड़ा जाएगा। इन भवनों में बाल वाटिका और आंगनबाड़ी केंद्र खोले जाएंगे, ताकि पूर्व-प्राथमिक शिक्षा को मजबूती मिल सके।
इसके बावजूद, गोरखपुर, हमीरपुर और अलीगढ़ जैसे कुछ जिलों में 50 से अधिक नामांकन वाले स्कूलों को भी पेयर करने के मामले सामने आए हैं। अधिकारियों का तर्क है कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि कुछ गांवों में दो से तीन विद्यालय संचालित हो रहे थे। सरकार अब इन सभी पहलुओं की जांच कर एक सुसंगत नीति के साथ आगे बढ़ेगी।