देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने और इसे आधुनिक जरूरतों के अनुरूप ढालने के लिए एक व्यापक कार्ययोजना पर जोर दिया है। शिक्षा विभाग की ‘गेम चेंजर’ योजनाओं की वर्चुअल समीक्षा बैठक के दौरान, उन्होंने अधिकारियों को कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए, जिनमें बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने, स्कूलों को स्मार्ट बनाने और छात्रों के कौशल विकास पर विशेष ध्यान केंद्रित करने को कहा गया है।
बालिका शिक्षा और प्रवेशोत्सव पर फोकस
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि शिक्षा की नींव को मजबूत करने के लिए ‘प्रवेशोत्सव’ पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए, ताकि पहली, छठी और नौवीं कक्षा में छात्रों का अधिक से अधिक नामांकन सुनिश्चित हो सके। उन्होंने बालिकाओं के स्कूल छोड़ने (ड्रॉपआउट) की दर पर गहरी चिंता व्यक्त की और अधिकारियों को इसे कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जो बालिकाएं किसी कारणवश पढ़ाई छोड़ चुकी हैं, उन्हें वापस शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए ठोस प्रयास किए जाएं और इसके लिए जमीनी स्तर पर एक व्यापक जागरूकता अभियान भी चलाया जाए।
कौशल विकास और आधुनिक शिक्षा
किताबी ज्ञान तक सीमित न रहकर, मुख्यमंत्री ने छात्रों के सर्वांगीण विकास पर बल दिया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि विद्यार्थियों के कौशल विकास (स्किल डेवलपमेंट) के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया जाए। इसके अलावा, नवाचार को बढ़ावा देने, कला, रंगमंच और खेलकूद जैसी गतिविधियों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने और ‘फिट इंडिया’ अभियान के प्रति बच्चों को जागरूक करने के लिए भी कहा गया।
बुनियादी सुविधाएं और शिक्षकों की भर्ती
बैठक में मुख्यमंत्री ने स्कूलों की बुनियादी सुविधाओं को लेकर सख्त रुख अपनाया। उन्होंने निर्देश दिए कि यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी छात्र-छात्राओं को किताबें, नोटबुक और स्कूल ड्रेस समय पर मिलें। उन्होंने शिक्षा विभाग की अनुपयोगी परिसंपत्तियों (Assets) का सदुपयोग करने और स्कूल भवनों के सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन करने को कहा। विशेष रूप से, उन्होंने बालिकाओं के लिए अलग शौचालयों और सेनेटरी पैड की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने पर जोर दिया। इसके साथ ही, मुख्यमंत्री ने विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों को जल्द से जल्द भरने और परीक्षा प्रणाली में सुधार लाने के भी निर्देश दिए।
‘भारत दर्शन’ और ‘स्मार्ट स्कूल’ योजना
बैठक में यह भी जानकारी दी गई कि सरकार की महत्वाकांक्षी ‘भारत दर्शन योजना’ के तहत पिछले सत्र में 156 टॉपर्स को दिल्ली, हिमाचल, पंजाब और हरियाणा के शैक्षणिक भ्रमण पर भेजा गया था, जहां उन्होंने आईआईटी और आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों का दौरा किया। इस वर्ष यह संख्या बढ़ाकर 1082 की जाएगी। इसके अलावा, प्रदेश के 559 क्लस्टर विद्यालयों को ‘स्मार्ट स्कूल’ के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसके तहत 4019 स्मार्ट क्लासरूम संचालित किए जाएंगे, ताकि छात्रों को डिजिटल शिक्षा से जोड़ा जा सके।
इस वर्चुअल बैठक में शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव शिक्षा रविनाथ रमन और शिक्षा विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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