Punjab: पंजाब में बेअदबी पर अब उम्रकैद का प्रस्ताव, विधेयक जनता की राय के लिए प्रवर समिति को भेजा

चंडीगढ़। पंजाब में धार्मिक ग्रंथों के अपमान (बेअदबी) जैसे संवेदनशील और गंभीर अपराधों पर नकेल कसने के लिए भगवंत मान सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार द्वारा लाया गया एक विधेयक, जिसमें धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के लिए आजीवन कारावास तक की सजा का प्रस्ताव है, उसे मंगलवार को पंजाब विधानसभा की प्रवर समिति (Select Committee) को भेज दिया गया है। समिति इस विधेयक पर जनता और विभिन्न धार्मिक संस्थाओं की राय लेगी और छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सदन में प्रस्तुत करेगी।

सभी दलों की सहमति से लिया जाएगा फैसला

विधानसभा के विशेष सत्र के अंतिम दिन, अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवान ने यह घोषणा की। यह कदम मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा ‘पंजाब पवित्र धर्मग्रंथों के विरुद्ध अपराधों की रोकथाम विधेयक, 2025’ को सदन की एक समिति को सौंपने का प्रस्ताव रखने के बाद उठाया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस समिति में सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा, ताकि इस संवेदनशील विषय पर एक सर्वसम्मत और मजबूत कानून बनाया जा सके।

बेअदबी से बड़ा कोई अपराध नहीं: मुख्यमंत्री मान

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोमवार को सदन में यह बेअदबी विरोधी विधेयक पेश किया था। विधेयक पर चर्चा को समाप्त करते हुए, उन्होंने 2015 में अकाली-भाजपा शासन के दौरान हुई बेअदबी की दर्दनाक घटनाओं का जिक्र किया और कहा कि बेअदबी से बड़ा कोई अपराध नहीं हो सकता और इसके दोषियों के लिए कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान होना नितांत आवश्यक है। इस विधेयक को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में पहले ही मंजूरी दे दी गई थी।

क्या हैं विधेयक के कड़े प्रावधान?

यह राज्य-विशिष्ट प्रस्तावित कानून सभी धर्मों का सम्मान सुनिश्चित करता है। इसमें श्री गुरु ग्रंथ साहिब, श्रीमद्भगवद्गीता, पवित्र बाइबिल और पवित्र कुरान शरीफ सहित अन्य पवित्र ग्रंथों के अपमान पर कठोर दंड का प्रावधान है।

  • मुख्य अपराध के लिए सजा: विधेयक के अनुसार, बेअदबी का दोषी पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। इसके साथ ही, दोषी पर 5 लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक का भारी जुर्माना भी लगाया जाएगा।

  • अपराध के प्रयास पर सजा: यदि कोई व्यक्ति बेअदबी करने का प्रयास करता है, तो उसे तीन से पांच साल की कैद और 3 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

  • अपराध में सहयोग पर सजा: इस अपराध में सहयोग करने वाले या इसे उकसाने वाले व्यक्तियों को भी किए गए अपराध के अनुसार ही दंडित किया जाएगा।

  • ‘अपराध’ की परिभाषा: विधेयक में ‘अपराध’ शब्द को भी स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। इसके तहत किसी भी पवित्र ग्रंथ या उसके किसी हिस्से का अपवित्रीकरण, क्षति, विनाश, विरूपण (आकार या बनावट बदलना), जलाना, तोड़ना या फाड़ना शामिल है।

इस विधेयक को पंजाब में धार्मिक भावनाओं से जुड़े एक अत्यंत संवेदनशील मुद्दे को संबोधित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। अब सबकी निगाहें प्रवर समिति पर टिकी हैं, जो अगले छह महीनों में जनता की राय को शामिल कर अपनी रिपोर्ट विधानसभा में पेश करेगी, जिसके बाद इस कानून का भविष्य तय होगा।

 

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