जालंधर। दृढ़ता, जुनून और जीवन के प्रति अदम्य उत्साह के प्रतीक, दुनिया के सबसे उम्रदराज मैराथन धावक सरदार फौजा सिंह का 114 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। ‘टर्बन्ड टॉरनेडो’ (पगड़ीधारी बवंडर) के नाम से मशहूर फौजा सिंह की मृत्यु सोमवार शाम को एक दुखद सड़क हादसे में हुई। इस खबर से खेल जगत और उनके प्रशंसकों में शोक की लहर दौड़ गई है।
एक दुखद अंत
जानकारी के अनुसार, फौजा सिंह सोमवार दोपहर बाद लगभग साढ़े तीन बजे अपनी नियमित सैर के लिए घर से निकले थे। जब वह अपने गांव ब्यास पिंड के पास पठानकोट-जालंधर नेशनल हाईवे को पार कर रहे थे, तभी एक तेज रफ्तार कार ने उन्हें जोरदार टक्कर मार दी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए और उनका निधन हो गया। पुलिस मामले की जांच कर रही है। उनके पार्थिव शरीर को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है, जो रिश्तेदारों के आने के बाद होने की संभावना है।
विदेश से आएंगे परिजन, शुक्रवार को हो सकता है अंतिम संस्कार
फौजा सिंह के बेटे सुखविंदर सिंह ने बताया कि अंतिम संस्कार में अभी दो से तीन दिन का समय लगेगा। परिवार के सदस्य जो इंग्लैंड और कनाडा में रहते हैं, उनके भारत पहुंचने की प्रतीक्षा की जा रही है। संभावना है कि अंतिम संस्कार शुक्रवार को किया जाएगा, ताकि सभी प्रियजन उन्हें अंतिम विदाई दे सकें।
प्रेरणा के चिरस्थायी प्रतीक
फौजा सिंह केवल एक मैराथन धावक नहीं, बल्कि लाखों लोगों के लिए एक जीती-जागती प्रेरणा थे। उन्होंने 89 साल की उम्र में गंभीरता से दौड़ना शुरू किया और उम्र को धता बताते हुए कई अंतरराष्ट्रीय मैराथन पूरी कीं। वे हमेशा युवाओं को नशे से दूर रहकर एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाने का संदेश देते थे। उनकी प्रेरणादायी शख्सियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले साल 10 दिसंबर, 2024 को पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने ‘नशा मुक्त रंगला पंजाब’ अभियान की शुरुआत उनके घर से की थी। इस मौके पर फौजा सिंह ने खुद राज्यपाल के साथ लगभग एक किलोमीटर की पैदल यात्रा में हिस्सा लिया था, जिसके बाद राज्यपाल ने उन्हें सम्मानित भी किया था।
राज्यपाल ने जताया गहरा दुख
फौजा सिंह के निधन पर राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा, “महान मैराथन धावक और दृढ़ता व आशा के चिरस्थायी प्रतीक सरदार फौजा सिंह जी के निधन से अत्यंत दुखी हूं। 114 वर्ष की आयु में भी वे अपनी शक्ति और प्रतिबद्धता से पीढ़ियों को प्रेरित करते रहे। मुझे दिसंबर 2024 में जालंधर स्थित उनके गांव ब्यास जाकर उनके साथ चलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। उस समय भी उनकी उपस्थिति ने इस आंदोलन में अद्वितीय ऊर्जा और उत्साह का संचार किया।” उन्होंने फौजा सिंह के परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की। फौजा सिंह का जीवन इस बात का प्रमाण है कि उम्र केवल एक संख्या है और दृढ़ इच्छाशक्ति से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। उनका निधन एक युग का अंत है