वाशिंगटन। अमेरिकी राजनीति में जब से डोनाल्ड ट्रंप ने कदम रखा है, उनकी विदेश नीति में एक नेता का जिक्र हमेशा खास रहा है – रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन। ट्रंप कई मौकों पर सार्वजनिक रूप से पुतिन को एक “मजबूत नेता” (Strong Leader) बताकर उनकी प्रशंसा कर चुके हैं। लेकिन अपने दूसरे कार्यकाल में राष्ट्रपति ट्रंप के तेवर पूरी तरह बदले हुए नजर आ रहे हैं। पुतिन के सबसे बड़े प्रशंसकों में से एक माने जाने वाले ट्रंप अब उनके सबसे मुखर आलोचकों में से एक बनते दिख रहे हैं।
सोमवार को ट्रंप ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए न केवल यूरोप के रास्ते यूक्रेन को हथियार भेजने का एलान किया, बल्कि रूस को गंभीर आर्थिक परिणामों की चेतावनी भी दे डाली। उन्होंने रूस पर भारी-भरकम टैरिफ लगाने की धमकी दी है, जिससे यह सवाल खड़ा हो गया है कि ट्रंप के इस नाटकीय यू-टर्न के पीछे आखिर क्या वजह है?
वादाखिलाफी का अहसास और निजी निराशा
इस बदलाव की सबसे बड़ी वजह ट्रंप के अपने ही चुनावी वादे को पूरा न कर पाना है। राष्ट्रपति बनने से पहले ट्रंप ने अमेरिकी जनता से जोर-शोर से यह वादा किया था कि अगर वह सत्ता में वापस आए, तो रूस-यूक्रेन युद्ध को महज 24 घंटे में रुकवा देंगे। व्हाइट हाउस में उनकी वापसी को कई महीने बीत चुके हैं, लेकिन युद्ध अभी भी जारी है, जिससे उनकी छवि पर असर पड़ रहा है।
इस नाकामी की हताशा ट्रंप के हालिया बयानों में साफ झलकती है। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन से फोन पर भी बात की, लेकिन नतीजा निराशाजनक रहा। इस बातचीत का जिक्र करते हुए ट्रंप ने एक निजी अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा, “मैं घर गया और मैंने फर्स्ट लेडी (पत्नी मेलानिया) को बताया कि आज मैंने व्लादिमीर पुतिन से बात की और हमारे बीच कमाल की वार्ता हुई।” लेकिन उनकी यह खुशी पल भर में काफूर हो गई। उन्होंने आगे बताया, “उन्होंने (मेलानिया ने) मुझसे कहा, ‘क्या सच में? अभी कुछ देर पहले ही यूक्रेन के एक शहर पर फिर से हमला हुआ है।'”
“कठोर शख्स” बताकर दी 100% टैरिफ की धमकी
इस घटना ने ट्रंप को यह अहसास कराया कि पुतिन के शब्दों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। अब वह पुतिन को एक “कठोर शख्स” के रूप में देखते हैं। ट्रंप ने कहा, “मैं यह नहीं कहना चाहता कि वो हत्यारे हैं, लेकिन वो बहुत कठोर शख्स हैं। यह पिछले कुछ सालों में साबित हो गया है। उन्होंने कई लोगों को बेवकूफ बनाया है।”
ट्रंप ने साफ किया कि वह बेवकूफ बनने वालों में से नहीं होंगे। उन्होंने यूक्रेन पर हमले के लिए पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल को जिम्मेदार ठहराया, लेकिन साथ ही रूस को एक कड़ा संदेश भी दिया। यूक्रेन को हथियार भेजने के अलावा, ट्रंप ने रूस को युद्ध रोकने के लिए 50 दिनों का अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने धमकी दी है कि अगर इस समय सीमा के भीतर युद्ध समाप्त नहीं हुआ, तो अमेरिका उन सभी देशों पर 100 प्रतिशत का भारी-भरकम टैरिफ लगा देगा, जो रूस से सामान खरीदते हैं। यह कदम रूस की अर्थव्यवस्था को पंगु बनाने और उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
कुल मिलाकर, ट्रंप का यह बदला हुआ रुख उनकी राजनीतिक हताशा और व्यक्तिगत धोखे के अहसास का मिला-जुला परिणाम है, जो आने वाले समय में अमेरिका-रूस संबंधों को एक नए और अप्रत्याशित मोड़ पर ले जा सकता है।
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