Himachal: हिमाचल में गौ-सदनों को अब प्रति पशु मिलेंगे 1200 रुपये

शिमला। हिमाचल प्रदेश में गौ-संरक्षण और बेसहारा पशुओं की देखभाल को बढ़ावा देने की दिशा में राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पशुपालन एवं कृषि मंत्री चंदर कुमार ने घोषणा की है कि गौ-सेवा आयोग के माध्यम से कार्यान्वित की जा रही ‘गौपाल योजना’ के तहत दी जाने वाली मासिक प्रोत्साहन राशि को 700 रुपये प्रति पशु से बढ़ाकर 1200 रुपये कर दिया गया है। यह बढ़ी हुई राशि अगस्त, 2025 से राज्य के सभी पंजीकृत गौ-सदनों को प्रदान की जाएगी।

यह निर्णय आज यहां आयोजित हिमाचल प्रदेश गौ-सदन आयोग की छठी बैठक की अध्यक्षता करते हुए लिया गया। बैठक के दौरान प्रदेश भर के गौ-सदनों की स्थापना, उनके कामकाज और बेसहारा पशुओं के पुनर्वास के मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई। बताया गया कि वर्तमान में, राज्य भर में 276 गौ-सदन और गौ-अभयारण्य हैं, जो 21,306 बेसहारा पशुओं को आश्रय प्रदान कर रहे हैं। इसके अलावा, कांगड़ा, हमीरपुर और ऊना जिलों में नए गौ-सदन और गौ-अभयारण्य स्थापित करने की प्रक्रिया भी चल रही है।

आयोग ने गौपाल योजना के तहत प्रोत्साहन राशि बढ़ाने के लिए राज्य सरकार का आभार व्यक्त किया। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि कृषि विभाग के सहयोग से गौ-सदनों और अभयारण्यों में बायोगैस संयंत्र स्थापित किए जाएंगे, ताकि उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सके।

इस अवसर पर कृषि मंत्री चंदर कुमार ने अधिकारियों को कड़े निर्देश जारी किए। उन्होंने पशुपालन विभाग को सभी गौ-सदनों और गौ-अभयारण्यों में नियमित पशु चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित करने और उचित रिकॉर्ड रखने का निर्देश दिया। इसके साथ ही, उन्होंने पुलिस विभाग को पशु तस्करी और पड़ोसी राज्यों से जानवरों को अवैध रूप से छोड़ने के मामलों में आवश्यक कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए, ताकि बेसहारा पशुओं की संख्या पर अंकुश लगाया जा सके।

बैठक में यह भी तय हुआ कि गौ-सेवा आयोग, भाषा एवं संस्कृति विभाग के सहयोग से गौ-सदनों और अभयारण्यों के निर्माण और संचालन के लिए एक नीति का मसौदा तैयार करेगा, जिसमें सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसका उद्देश्य गौ-सेवा को एक जन-आंदोलन बनाना है।

इस महत्वपूर्ण बैठक में पशुपालन सचिव रितेश चौहान, निदेशक डॉ. संजीव धीमान और हिमाचल प्रदेश गौ सेवा आयोग के अन्य सदस्य भी उपस्थित थे। सरकार के इस कदम से न केवल गौ-सदनों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि इससे राज्य में बेसहारा पशुओं की बेहतर देखभाल और प्रबंधन सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी।

 

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