शिमला। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज शिमला जिले में निर्माणाधीन 27 किलोमीटर लंबी शोगी-ढली फोरलेन परियोजना के किनारे विभिन्न संवेदनशील और खतरनाक स्थलों का मौके पर निरीक्षण किया। उन्होंने भट्टाकुफर, संजौली, ढली, लिंडीधार और आस-पास के क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया और स्थानीय निवासियों की शिकायतों को विस्तार से सुना।
निरीक्षण के दौरान स्थानीय निवासियों ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा की जा रही पहाड़ी कटाई की अवैज्ञानिक गतिविधियों पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने आरोप लगाया कि इस अंधाधुंध कटाई के कारण उनके घर और जमीनें असुरक्षित हो गई हैं, संपत्ति को भारी नुकसान हुआ है और उनके जीवन तथा सुरक्षा पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। लोगों ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाते हुए कहा, “एनएचएआई के अधिकारी हमारी एक नहीं सुनते। हमें अपनी संपत्ति का भारी नुकसान हुआ है, और अब हमारे सिर पर हर समय एक खतरा मंडराता रहता है। हम सरकार से तत्काल कदम उठाने का अनुरोध करते हैं।”
उनकी चिंताओं पर गंभीर संज्ञान लेते हुए, मुख्यमंत्री ने संबंधित विभागों को तत्काल सुधारात्मक उपाय करने और सार्वजनिक सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता पर सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने प्रभावित परिवारों को राज्य सरकार की ओर से हर संभव सहायता का आश्वासन भी दिया।
मीडियाकर्मियों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “लोग अपनी सालों की कमाई से घर बनाते हैं। जब ऐसे घर ढहते हैं, तो यह केवल वित्तीय क्षति नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और सामाजिक आघात होता है। मैं इस मुद्दे को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी के समक्ष उठाऊंगा।” उन्होंने प्रभावितों के लिए तत्काल राहत की घोषणा करते हुए कहा, “राज्य सरकार असुरक्षित ढांचों में रहने वाले परिवारों को किराये पर आवास लेने के लिए प्रति माह 10,000 रुपये की किराये की सहायता प्रदान करेगी। इसके अतिरिक्त, आपदा के दौरान नुकसान झेलने वालों को एक विशेष राहत पैकेज भी दिया जाएगा।”
मुख्यमंत्री ने इस तरह के कार्यों को स्थानीय ठेकेदारों को देने की वकालत की, जो क्षेत्रीय स्थलाकृति और भौगोलिक परिस्थितियों से अधिक परिचित होते हैं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि एनएचएआई को इस तरह की आपदाओं को रोकने के लिए आधुनिक तकनीकों को अपनाना चाहिए और पहाड़ी इलाकों में सुरंग-आधारित विकल्पों का पता लगाना चाहिए।
इस मामले में, जिला प्रशासन, शिमला ने दो समितियों का गठन किया है। अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (प्रोटोकॉल) की अध्यक्षता में एक 12-सदस्यीय समिति फोरलेन के किनारे संवेदनशील बिंदुओं की पहचान करने और सुधारात्मक उपाय सुझाने का काम करेगी। वहीं, भट्टाकुफर में हाल ही में हुए भवन ढहने की घटना की जांच के लिए अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (कानून एवं व्यवस्था) के नेतृत्व में एक पांच-सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।
इस अवसर पर ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान, उपायुक्त अनुपम कश्यप और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मुख्यमंत्री के साथ थे।