हिमाचल में मानसून का रौद्र रूप: भारी बारिश से तबाही, 80 की मौत, 227 सड़कें बंद
शिमला। हिमाचल प्रदेश में मानसून का कहर लगातार जारी है। सोमवार रात को प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में हुई मूसलाधार बारिश ने जनजीवन को एक बार फिर अस्त-व्यस्त कर दिया है। सिरमौर जिले में रातभर हुई बारिश के कारण गिरि जटोंन डैम के छह गेट खोलने पड़े, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है और प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है। राजधानी शिमला, कांगड़ा, मंडी, बिलासपुर और चंबा में भी भारी बारिश दर्ज की गई, जिसमें मंडी जिले के गोहर में सर्वाधिक 85 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई।
मौसम विभाग ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अगले 24 घंटों के लिए सात जिलों—चंबा, कांगड़ा, मंडी, कुल्लू, शिमला, सोलन और सिरमौर—में फ्लैश फ्लड की चेतावनी जारी की है। इसके साथ ही, 14 जुलाई तक भारी बारिश की आशंका के चलते येलो अलर्ट भी लागू किया गया है। विभाग ने लोगों से नदी-नालों से दूर रहने और अनावश्यक यात्रा से बचने की सलाह दी है।
लगातार हो रही बारिश और भूस्खलन के कारण प्रदेश में बुनियादी सुविधाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, मंगलवार सुबह तक राज्य भर में 227 सड़कें यातायात के लिए बंद थीं, जबकि 163 बिजली ट्रांसफार्मर और 174 पेयजल योजनाएं ठप पड़ी हैं। मंडी जिला इस आपदा से सबसे ज्यादा प्रभावित है, जहां 153 सड़कें, 140 ट्रांसफार्मर और 158 जल योजनाएं बाधित हैं, जिन्हें बहाल करने का काम युद्धस्तर पर जारी है।
प्रदेश में 20 जून से शुरू हुए मानसून सीजन ने अब तक भारी तबाही मचाई है। वर्षाजनित हादसों में 80 लोगों की जान जा चुकी है, 128 लोग घायल हुए हैं और 35 लोग अभी भी लापता हैं। इस दौरान राज्य को कुल 692 करोड़ रुपये की संपत्ति का अनुमानित नुकसान हुआ है, जिसमें सबसे ज्यादा क्षति जलशक्ति विभाग (391 करोड़) और लोक निर्माण विभाग (292 करोड़) को हुई है। इसके अलावा, 164 मकान पूरी तरह और 191 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, साथ ही सैकड़ों पशुओं की भी मौत हुई है।
आपदा से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में मंडी सबसे ऊपर है, जहां 30 जून की रात को ही 12 स्थानों पर बादल फटने की घटनाएं हुईं। जिले में अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है और 28 लोग लापता हैं। यह आंकड़े प्रदेश में मानसून की भयावहता को दर्शाते हैं।
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