मंडी। मंडी जिले के सराज क्षेत्र में आई भयंकर प्राकृतिक आपदा के बीच, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की एक तस्वीर संवेदना और नेतृत्व का प्रतीक बन गई है। यह तस्वीर महज एक दृश्य नहीं, बल्कि संकट की घड़ी में सरकार के जमीन से जुड़ाव और संवेदना का एक सशक्त संदेश है कि सरकार सिर्फ भाषणों में नहीं, बल्कि जरूरत पड़ने पर मलबे और मटमैले पानी में भी उतरकर जनता के साथ खड़ी है।
यह मार्मिक क्षण उस समय कैमरे में कैद हुआ जब उपमुख्यमंत्री थुनाग घाटी के आपदाग्रस्त शरण गांव तक पहुंचने के लिए पानी, मलबे और कीचड़ से भरे एक उफनते नाले को पार करने की कोशिश कर रहे थे। सड़कें टूट चुकी थीं, रास्ते बंद थे, लेकिन आपदा पीड़ितों तक पहुंचने का जज्बा नहीं रुका। अपनी सुरक्षा की परवाह किए बिना उन्होंने नाले पर छलांग लगाई और सीधे आपदा प्रभावित ग्रामीणों से संवाद करने पहुंचे। वहां मौजूद हर आंख में इस दृश्य को देखकर सम्मान और उम्मीद की एक नई किरण जगी।

सिर्फ निरीक्षण नहीं, बांटा पीड़ितों का दर्द
यह सिर्फ एक छलांग नहीं थी, बल्कि उस भरोसे को मजबूत करने वाला कदम था, जिसकी संकट की घड़ी में जनता को सबसे ज्यादा जरूरत होती है। उपमुख्यमंत्री ने केवल निरीक्षण की औपचारिकता पूरी नहीं की, बल्कि राहत वितरण शिविरों में जाकर पीड़ितों का दर्द बांटा, बच्चों से बात की और अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि राहत कार्यों में किसी भी तरह की कोई कोताही या देरी नहीं होनी चाहिए।
संकट की इस घड़ी में, जब हजारों लोग अपने आशियाने और अपनों को खो चुके हैं, उपमुख्यमंत्री की यह एक ‘छलांग’ महज एक शारीरिक क्रिया नहीं, बल्कि नेतृत्व और उम्मीद का वह प्रतीक है जो जनता को आश्वस्त करता है कि सरकार उनके साथ खड़ी है। सही मायनों में, यही नेतृत्व की असली तस्वीर है।