रूपनगर। पंजाब की स्कूली शिक्षा में एक क्रांतिकारी बदलाव की घोषणा की गई है। शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने ऐलान किया है कि अब राज्य के सरकारी स्कूलों में 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को अपना सर्टिफिकेट पाने के लिए एक बिजनेस आइडिया पर काम करना होगा और उसमें सफलता हासिल करनी होगी।
यह कदम पारंपरिक शिक्षा प्रणाली से आगे बढ़कर छात्रों को आत्मनिर्भर और उद्यमी बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है। शिक्षा मंत्री के अनुसार, प्रत्येक विद्यार्थी के लिए यह अनिवार्य होगा कि वह अपनी पढ़ाई के दौरान एक व्यावसायिक विचार विकसित करे और उसे सफलतापूर्वक क्रियान्वित करे। इसी सफलता के आधार पर उसे 12वीं का प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा।
मनीष सिसोदिया ने किया फैसले का स्वागत
पंजाब सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले का दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और शिक्षा सुधारों के प्रणेता मनीष सिसोदिया ने जोरदार स्वागत किया है। उन्होंने कहा, “यह अपने आप में एक बहुत बड़ा और ऐतिहासिक फैसला है।”

सिसोदिया ने इस बात पर जोर दिया कि इस नीति से यह सुनिश्चित होगा कि स्कूल से पढ़कर निकलने वाला हर विद्यार्थी केवल नौकरी ढूंढने वाला नहीं, बल्कि नौकरी देने वाला बनेगा। उन्होंने आगे कहा, “यदि किसी छात्र को नौकरी नहीं मिलती है या वह नौकरी नहीं करना चाहता, तो वह अपना खुद का व्यवसाय स्थापित कर कमाई कर सकेगा। इस मॉडल से विद्यार्थी पढ़ाई के साथ-साथ कमाई करने का हुनर भी सीखेंगे, जो उन्हें भविष्य के लिए तैयार करेगा।”
यह कदम आम आदमी पार्टी की शिक्षा नीति का एक महत्वपूर्ण विस्तार माना जा रहा है, जो दिल्ली के ‘एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम’ (EMC) से प्रेरित है। इस फैसले का उद्देश्य पंजाब के युवाओं को पारंपरिक नौकरियों पर निर्भरता से मुक्त कर उन्हें इनोवेटिव और आत्मनिर्भर बनाना है।
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