Punjab: पंजाब में बेअदबी पर सख्त कानून की तैयारी, 10-11 जुलाई को विशेष सत्र बुला सकती है मान सरकार

चंडीगढ़। पंजाब की भगवंत मान सरकार 10 और 11 जुलाई को विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाने की तैयारी में है। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, इस सत्र का मुख्य उद्देश्य धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के खिलाफ एक कड़ा कानून पारित करना है। इस प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिए सरकार ने 7 जुलाई को कैबिनेट की बैठक भी बुलाई है।

क्यों बुलाया जा रहा है विशेष सत्र?

इस विशेष सत्र के पीछे का मुख्य कारण राज्य में बेअदबी की घटनाओं के लिए सख्त सजा का प्रावधान करना है। यह कदम मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा पिछले हफ्ते ‘सर्व धर्म बेअदबी रोको कानून मोर्चा’ के प्रतिनिधियों को दिए गए आश्वासन के बाद उठाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने वादा किया था कि राज्य सरकार अपराधियों के लिए कठोर सजा सुनिश्चित करने वाला एक मजबूत कानून बनाएगी।

इस मांग को लेकर समाणा में गुरजीत सिंह नामक एक व्यक्ति अक्टूबर 2024 से पानी की टंकी पर चढ़कर प्रदर्शन कर रहा है। उसकी मांग है कि बेअदबी के दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान किया जाए।

राजनीतिक रणनीति और अकाली दल को जवाब

जानकारों का मानना है कि इस सत्र को बुलाने के पीछे एक बड़ी राजनीतिक रणनीति भी है। सरकार अध्यादेश (ऑर्डिनेंस) लाने की बजाय सत्र बुलाकर इस संवेदनशील मुद्दे का राजनीतिक लाभ लेना चाहती है। यह कदम शिरोमणि अकाली दल द्वारा 14 जुलाई से लैंड पूलिंग पॉलिसी को लेकर सरकार को घेरने की योजना के जवाब के रूप में भी देखा जा रहा है। सरकार इस भावनात्मक मुद्दे को उठाकर विपक्ष के हमलों की धार को कुंद करना चाहती है।

दिलचस्प है कि 2015 में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं के कारण ही अकाली दल को चुनावों में भारी हार का सामना करना पड़ा था, और लोगों में इसे लेकर गुस्सा आज भी कायम है।

कानूनी चुनौतियां और पिछली कोशिशें

यह पहली बार नहीं है जब पंजाब में ऐसा कानून बनाने की कोशिश हो रही है। इससे पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार के दौरान भी बेअदबी को लेकर दो विधेयक पारित किए गए थे, लेकिन वे अभी भी केंद्र सरकार के पास लंबित हैं। केंद्र ने इन विधेयकों में आजीवन कारावास के प्रावधान को ‘कठोर सजा’ करार दिया था। मुख्यमंत्री मान ने 2023 में इन विधेयकों पर राष्ट्रपति की सहमति के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र भी लिखा था।

मुख्यमंत्री मान का मानना है कि नई भारतीय न्याय संहिता (BNS) में धार्मिक स्थलों को लेकर तो प्रावधान हैं, लेकिन यह पवित्र ग्रंथों के अपमान पर खामोश है। उन्होंने कहा है कि नया कानून बनाने से पहले प्रमुख कानूनी विशेषज्ञों और सभी धार्मिक संगठनों से परामर्श किया जाएगा ताकि एक मजबूत और प्रभावी राज्य कानून बनाया जा सके। यह विशेष सत्र न केवल एक संवेदनशील मुद्दे को संबोधित करने का प्रयास है, बल्कि यह आने वाले दिनों में पंजाब की राजनीतिक दिशा को भी प्रभावित कर सकता है।

 

Pls read:Punjab: राजनीति के बाद क्रिकेट पर ‘आप’ का नियंत्रण, PCA के सभी प्रमुख पदों पर निर्विरोध निर्वाचन तय

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *