शिमला। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विदेश में रोजगार के अवसर तलाश रहे राज्य के युवाओं को सशक्त बनाने और उन्हें धोखाधड़ी से बचाने के लिए एक बड़ी पहल की है। उन्होंने श्रम एवं रोजगार विभाग को एक समर्पित वेबसाइट और मोबाइल एप्लिकेशन विकसित करने का निर्देश दिया है। यह डिजिटल प्लेटफॉर्म विदेश जाने के इच्छुक युवाओं का व्यापक डेटाबेस तैयार करेगा, जिससे विदेशी नौकरियों को सुरक्षित करने में बेहतर पारदर्शिता, पहुंच और सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा, “हिमाचल प्रदेश के युवा मेहनती, ईमानदार और सक्षम हैं। राज्य सरकार उन्हें विदेशों में बेहतर वेतन वाली नौकरियां दिलाने और संभावित शोषण से बचाने में मदद करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।”
HPSEDC को मिली भर्ती एजेंसी की मान्यता
मुख्यमंत्री ने बताया कि हिमाचल प्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम (HPSEDC) को एक पंजीकृत भर्ती एजेंसी के रूप में लाइसेंस मिल गया है। उन्होंने HPSEDC को निर्देश दिया कि वह प्रमाणित प्रशिक्षण एजेंसियों के साथ सहयोग करे ताकि राज्य के युवाओं के कौशल को अंतरराष्ट्रीय नौकरी बाजार की आवश्यकताओं के अनुरूप निखारा जा सके।
उन्होंने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि हर साल हिमाचल प्रदेश से लगभग 10,000 युवा रोजगार की तलाश में विदेश जाते हैं, जबकि अन्य 5,000 उच्च शिक्षा के लिए जाते हैं। हालांकि, सटीक जानकारी और उचित मार्गदर्शन की कमी के कारण यह संख्या अपनी क्षमता से कम है। 2023-24 में, विदेशों में काम करने वाले हिमाचलियों ने 2,030 करोड़ रुपये का प्रेषण (Remittances) भेजा, जो राज्य की छोटी आबादी को देखते हुए एक महत्वपूर्ण योगदान है।

इन क्षेत्रों में है भारी मांग
श्री सुक्खू ने बताया कि विदेशों में नर्स, वेटर, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, क्लर्क, ड्राइवर (हल्के और भारी वाहन), मशीन ऑपरेटर, सुरक्षा गार्ड, इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, बढ़ई, राजमिस्त्री, वेल्डर और मैकेनिक जैसे पेशेवरों की भारी मांग है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इन क्षेत्रों में हिमाचल प्रदेश के कुशल युवा उपलब्ध हैं और HPSEDC उनकी विदेशी प्लेसमेंट में सक्रिय रूप से सुविधा प्रदान करेगा।
केरल और तेलंगाना मॉडल का होगा अध्ययन
मुख्यमंत्री ने श्रम एवं रोजगार विभाग को जागरूकता अभियान शुरू करने का भी निर्देश दिया, ताकि युवाओं को विदेशी रोजगार के सुरक्षित और वैध तरीकों के बारे में सूचित किया जा सके और उन्हें केवल पंजीकृत भर्ती एजेंसियों के माध्यम से ही विदेश जाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इसके अतिरिक्त, उन्होंने विभाग को हिमाचल प्रदेश के लिए एक प्रभावी रणनीति तैयार करने हेतु केरल और तेलंगाना के विदेशी रोजगार मॉडल का अध्ययन करने का भी निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि यह उल्लेखनीय है कि देश में केरल में विदेशी रोजगार की दर सबसे अधिक है, जहाँ प्रति 1,000 में से 57.94 व्यक्ति विदेश में काम करते हैं, जबकि हिमाचल प्रदेश में यह संख्या केवल 5.36 प्रति 1,000 है। मुख्यमंत्री ने विभाग को हिमाचली प्रवासियों (NRIs) का डेटाबेस भी विकसित करने का निर्देश दिया।
इस महत्वपूर्ण बैठक में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, विधायक सुरेश कुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।