Himachal: जर्मनी से आई नेताजी की अमूल्य धरोहर, सीएम सुक्खू को मिली ऑटोग्राफ वाली दुर्लभ तस्वीर

शिमला। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू को आज एक ऐतिहासिक और अमूल्य भेंट प्राप्त हुई, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक गौरवशाली अध्याय से जुड़ी है। मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (नवाचार, डिजिटल प्रौद्योगिकी और शासन) गोकुल बुटेल ने उन्हें नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक दुर्लभ ऑटोग्राफ वाली तस्वीर भेंट की। यह ऐतिहासिक तस्वीर बुटेल को हाल ही में जर्मनी के हैम्बर्ग की यात्रा के दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भतीजे सूर्य बोस द्वारा उपहार में दी गई थी।

यह भेंट उस समय हुई जब बुटेल भारत-जर्मन संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय मंच ‘हैम्बर्ग इंडिया वीक’ में भाग लेने वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। इस कार्यक्रम के दौरान, उन्होंने न केवल नेताजी की स्थायी विरासत को श्रद्धांजलि दी, बल्कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के साथ हैम्बर्ग शहर के गहरे और विशेष संबंध पर भी प्रकाश डाला।

हैम्बर्ग और भारत के राष्ट्रगान का ऐतिहासिक संबंध

यह संबंध केवल नेताजी की जर्मनी में उपस्थिति तक ही सीमित नहीं है, बल्कि भारत के राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ की धुन से भी गहरा जुड़ा हुआ है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1942 में, जर्मनी में रहते हुए, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने ‘फ्री इंडिया सेंटर’ की स्थापना की और ‘इंडियन लीजन’ का गठन किया था। इसी दौरान, नेताजी ने जर्मन संगीतकार विल्हेम हेलबर्ग को ‘जन गण मन’ का पहला ऑर्केस्ट्रा और मिलिट्री बैंड संस्करण तैयार करने का काम सौंपा था।

इसकी रचना और रिकॉर्डिंग हैम्बर्ग में ही की गई थी। यह धुन आज़ाद हिंद आंदोलन का राष्ट्रगीत बन गई और इसे इंडियन लीजन के आधिकारिक कार्यक्रमों और सैन्य परेडों में बजाया जाता था। बाद में इसी धुन को भारतीय राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया। इस प्रकार, हैम्बर्ग को वह गौरवशाली शहर होने का गौरव प्राप्त है, जहां भारतीय राष्ट्रगान को पहली बार संगीतबद्ध किया गया और प्रस्तुत किया गया, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक गहरा सांस्कृतिक मील का पत्थर है।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने इस अमूल्य उपहार के लिए बुटेल और सूर्य बोस का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह तस्वीर केवल एक ऐतिहासिक वस्तु नहीं है, बल्कि यह नेताजी के बलिदान, उनकी दूरदृष्टि और भारत की स्वतंत्रता के लिए उनके अथक संघर्ष का प्रतीक है। यह भेंट हिमाचल प्रदेश को भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक अनूठे और गौरवशाली अध्याय से सीधे जोड़ती है और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।

 

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