Kerala: मानसून ने आठ दिन पहले दी दस्तक, केरल पहुंचा

नई दिल्ली। देश भर में बेसब्री से प्रतीक्षित मानसून ने इस बार तय समय से आठ दिन पहले ही केरल तट पर दस्तक दे दी है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने यह जानकारी देते हुए बताया कि मानसून 24 मई, 2025 को केरल पहुंच गया है, जबकि सामान्यतः यह 1 जून को आता है। पिछले 16 सालों में यह पहला मौका है जब मानसून इतनी जल्दी आया है। इससे पहले 2009 में मानसून ने 23 मई को केरल में प्रवेश किया था।

IMD के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य तिथि से आठ दिन पहले केरल में दस्तक दे चुका है। यह किसानों और आम जनता के लिए राहत की खबर है। केरल में मानसून का आगमन पूरे देश में मानसून की प्रगति का संकेत देता है।

कब आता है मानसून?

केरल में मानसून सामान्यतः 1 जून तक आता है। इतिहास में सबसे पहले मानसून 1918 में 11 मई को केरल पहुंचा था, जबकि सबसे देरी से 1972 में 18 जून को आया था। पिछले कुछ वर्षों में मानसून के केरल पहुंचने की तिथियों पर नज़र डालें तो पता चलता है कि 2009 और 2025 में यह 23 और 24 मई को आया, जबकि 2017, 2018, 2022 और 2024 में यह मई के अंतिम दिनों में ही पहुंच गया था। अन्य वर्षों में यह जून के पहले या दूसरे सप्ताह में केरल पहुंचा।

कई राज्यों में भारी बारिश के आसार

मौसम विभाग ने हल्की से लेकर भारी बारिश और गरज के साथ छींटे पड़ने का अलर्ट जारी किया है। आने वाले दिनों में 15 राज्यों में भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना है। बिहार, झारखंड और ओडिशा में 26 मई तक भारी बारिश हो सकती है। गुजरात, गोवा, महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल के तटीय इलाकों में 200 मिमी तक बारिश हो सकती है। इन राज्यों में अगले सात दिन तक भारी बारिश जारी रहने की संभावना है।

तीन राज्यों में रेड अलर्ट

मौसम विभाग ने कर्नाटक, गोवा और केरल में रेड अलर्ट जारी किया है। कर्नाटक के उत्तरा कन्नड़, उडुपी, दक्षिण कन्नड़, कोडागु, शिवमोग्गा और चिकमंगलूर जिलों में भारी बारिश की चेतावनी के साथ रेड अलर्ट जारी किया गया है। गोवा में भी 25 मई तक भारी बारिश की चेतावनी के साथ रेड अलर्ट घोषित किया गया है। केरल के कई जिलों में भी 27 मई तक भारी से बहुत भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया गया है। लोगों को सतर्क रहने और प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करने की सलाह दी गई है।

मानसून का जल्दी आना देश के कृषि क्षेत्र के लिए शुभ संकेत है। इससे खरीफ फसलों की बुआई समय पर हो सकेगी और अच्छी पैदावार की उम्मीद की जा सकती है। हालांकि, भारी बारिश से होने वाली संभावित बाढ़ और जलभराव से निपटने के लिए प्रशासन को पूरी तरह से तैयार रहने की जरूरत है।

 

Pls read:Delhi: गुजरात में कोरोना के 15 नए मामले, JN.1 वेरिएंट की पुष्टि

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *