अशोका यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर और राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख अली खान महमूदाबाद ने अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। अली खान को ऑपरेशन सिंदूर पर किए गए सोशल मीडिया पोस्ट के कारण गिरफ्तार किया गया था। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मामले की जल्द सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामला रखा। सुप्रीम कोर्ट 20 या 21 मई को इस मामले की सुनवाई करेगा।
गिरफ्तारी और रिमांड:
हरियाणा पुलिस ने रविवार को अली खान को दिल्ली के ग्रेटर कैलाश से गिरफ्तार किया और सोनीपत के राई थाने ले गई। उनके खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गईं- एक जठेड़ी के सरपंच की शिकायत पर और दूसरी राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया की ओर से। सोनीपत कोर्ट ने अली खान को दो दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है।
दो एफआईआर क्यों?

पुलिस का कहना है कि पहली एफआईआर जठेड़ी के सरपंच की शिकायत पर दर्ज की गई, जिसमें सरपंच ने अली खान पर उनके सामने आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया है। दूसरी एफआईआर राज्य महिला आयोग के नोटिस की अवमानना के मामले में दर्ज की गई है। न्यायाधीश ने दोनों एफआईआर को एक में मिलाने का सुझाव दिया था, लेकिन पुलिस ने अलग-अलग धाराओं के तहत मामला दर्ज होने का हवाला दिया।
अली खान के वकील का पक्ष:
अली खान के वकील कपिल देव का कहना है कि उनके मुवक्किल ने कोई विवादित बात नहीं कही है और उनके सोशल मीडिया पोस्ट में देश की एकता और अखंडता की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता और उन्हें रिहा किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि ज़मानत के लिए वे उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला:
अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाता है, यह देखना होगा। यह मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन का एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन गया है.