Uttarakhand: राजाजी टाइगर रिजर्व से सटे निर्माण में एनओसी की शर्तों का उल्लंघन, RTI से खुलासा – The Hill News

Uttarakhand: राजाजी टाइगर रिजर्व से सटे निर्माण में एनओसी की शर्तों का उल्लंघन, RTI से खुलासा

देहरादून: राजाजी टाइगर रिजर्व से सटे एक निर्माण को दी गई एनओसी के मामले में गंभीर अनियमितताएँ सामने आई हैं। RTI के जरिए हुए खुलासे से पता चला है कि निर्माण के लिए दी गई एनओसी की कई शर्तों का उल्लंघन किया गया, जिसमें टाइगर रिजर्व फाउंडेशन में 5 लाख रुपये जमा कराने जैसी महत्वपूर्ण शर्त भी शामिल है। हैरानी की बात यह है कि यह फाउंडेशन भी लंबे समय तक केवल कागजों पर ही चल रहा था।

मामला तब प्रकाश में आया जब गंगा दर्शन माई ग़िंदा कुंवर सुभाषघाट (हरिद्वार) के प्रबंधक रमेश चंद्र शर्मा ने मायापुर वन ब्लॉक की सीमा पर स्थित निर्मल पंचायती अखाड़ा को दी गई एनओसी और उसके उल्लंघन के बारे में RTI के तहत जानकारी मांगी। जानकारी न मिलने पर मामला सूचना आयोग पहुंचा। राज्य सूचना आयुक्त ने एनओसी और उसके उल्लंघन पर पूरी रिपोर्ट तलब की।

जांच में पता चला कि 2013 में जारी की गई इस एनओसी में कई शर्तें थीं, जैसे निर्माण से निकलने वाले प्रकाश को वन क्षेत्र में रोकना, राजाजी की तरफ ग्रीन बेल्ट विकसित करना, वन्यजीवों के लिए वाटर होल बनाना, कूड़े का वैज्ञानिक निस्तारण और दो किश्तों में टाइगर रिजर्व फाउंडेशन में 5 लाख रुपये जमा कराना।

हालांकि, इनमें से किसी भी शर्त का पालन नहीं किया गया। उल्टा, बहुमंजिला इमारत के साथ एक वेडिंग प्वाइंट भी बना दिया गया और मुख्य द्वार भी पार्क की ओर खोल दिया गया, जिससे तेज रोशनी वन क्षेत्र में जाती है। विभागीय अधिकारियों ने भी इस मामले में केवल खानापूर्ति की।

राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने राजाजी टाइगर रिजर्व के अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी, जिसके बाद अधिकारियों ने बताया कि संबंधित आश्रम ने अब शर्तों का पालन शुरू कर दिया है। फाउंडेशन में राशि जमा करा दी गई है, प्रकाश और ध्वनि प्रदूषण रोकने के उपाय किए गए हैं, ग्रीन बेल्ट के लिए पौधारोपण की तैयारी की जा रही है और कूड़े के निस्तारण की व्यवस्था की गई है।

RTI से यह भी खुलासा हुआ कि 2021 से 2023 के बीच वन्यजीव प्रतिपालक, हरिद्वार ने शर्तों के उल्लंघन पर आठ पत्र जारी किए थे और एनओसी रद्द करने की चेतावनी भी दी थी, लेकिन अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। यह दर्शाता है कि टाइगर रिजर्व प्रशासन के अधिकारी नियमों के पालन में कितनी लापरवाही बरत रहे थे। इस मामले ने वन्यजीव संरक्षण के प्रति उनकी उदासीनता को उजागर किया है।

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