शिमला: हिमाचल प्रदेश की पंचायतें लगभग 800 करोड़ रुपये की राशि खर्च नहीं कर पाई हैं. ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने सभी जिला उपायुक्तों से अप्रयुक्त राशि का विवरण मांगा है.
इसके अलावा, पंचायतों द्वारा विकास कार्यों पर खर्च की गई राशि के करोड़ों रुपये के उपयोगिता प्रमाण पत्र भी जमा नहीं कराए गए हैं. यह राशि वित्तीय वर्ष 2024-25 की है. सभी जिला उपायुक्तों को पत्र लिखकर इस राशि का पूरा ब्यौरा देने को कहा गया है ताकि इसका उपयोग विकास कार्यों में किया जा सके. यह राशि कच्चे रास्तों को पक्का करने, सामुदायिक भवन बनाने, और सिंचाई नहरों के निर्माण जैसे कार्यों के लिए थी.
विधायक और सांसद निधि से जारी हुई थी राशि:

सूत्रों के अनुसार, खर्च न की गई राशि में 15वें वित्त आयोग के तहत जारी राशि के अलावा विधायक निधि और सांसद निधि से मिली राशि भी शामिल है.
राज्य में कुल 3615 ग्राम पंचायतें थीं, जिनके लिए पिछले वित्तीय वर्ष में विकास कार्यों के लिए यह राशि जारी की गई थी. हालांकि, नए नगर निगमों, नगर परिषदों और नगर पंचायतों के गठन के बाद 42 पंचायतें समाप्त हो गई हैं, जिससे अब पंचायतों की संख्या घटकर 3577 रह गई है.
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के सचिव राजेश शर्मा ने बताया कि पंचायतों द्वारा खर्च न की गई राशि का पूरा डेटा मांगा गया है. साथ ही, जो विकास कार्य हुए हैं, उनके उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करने के निर्देश भी दिए गए हैं.
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