शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 58 से बढ़ाकर 59 वर्ष करने पर विचार कर रही है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 5 मई को कैबिनेट बैठक बुलाई है, जिसमें इस प्रस्ताव पर अंतिम फैसला लिया जा सकता है।
सेवानिवृत्ति आयु में एक वर्ष की वृद्धि से सरकार को पेंशन के बोझ से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता वाली एक मंत्रिमंडलीय उपसमिति ने पेंशन सुधार के लिए तीन विकल्प सुझाए हैं, जिनमें सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाना भी शामिल है। उपसमिति का गठन राज्य की वित्तीय स्थिति मजबूत करने के लिए किया गया था।
कैबिनेट बैठक में करुणामूलक आधार पर नियुक्तियों, कर्मचारियों के तबादलों पर लगे प्रतिबंध को हटाने, और रिक्त पदों को भरने जैसे मुद्दों पर भी चर्चा होगी। अनुबंध और आउटसोर्स नियुक्तियों को बंद कर गुजरात मॉडल लागू करने या भर्ती प्रक्रिया में बदलाव पर भी विचार किया जा सकता है।
बैठक में वित्तीय वर्ष 2025-26 की बजट घोषणाओं को भी मंजूरी मिल सकती है, जिसमें कर्मचारियों को 3% महंगाई भत्ता और 70-75 वर्ष के पेंशनभोगियों को बकाया एरियर का भुगतान शामिल है।
पेंशन सुधार के लिए उपसमिति की तीन प्रमुख सिफारिशें:
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सेवानिवृत्ति आयु में वृद्धि: 58 से 59 वर्ष करने से रिक्त पदों को भरने के लिए सरकार को एक वर्ष का अतिरिक्त समय मिलेगा, जिससे वित्तीय बोझ कम होगा।
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पेंशन कम्युटेशन पर रोक: इससे कर्मचारियों को पेंशन का एकमुश्त अग्रिम भुगतान बंद होगा, जिससे सरकार की नकद देनदारियों में कमी आएगी।
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पूर्ण पेंशन के लिए सेवा अवधि में वृद्धि: वर्तमान में 20 वर्ष की सेवा पर पूर्ण पेंशन मिलती है। प्रस्ताव है कि इसे पंजाब की तर्ज पर 25 वर्ष किया जाए।
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