शिमला: हिमाचल प्रदेश का स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग अब स्टाफ नर्सों के पदों को आउटसोर्स के ज़रिए भरेगा। सीधी भर्ती या अनुबंध आधार पर कोई भर्ती नहीं की जाएगी। वर्तमान में स्टाफ नर्स के 1329 पद खाली हैं।
ठेकेदारों के ज़रिए भर्ती पर सवाल:
विभाग द्वारा ठेकेदारों और कंपनियों के माध्यम से भर्ती करने पर कई बार सवाल उठाए गए हैं और पक्षपात के आरोप भी लगे हैं।
आउटसोर्स से सरकार को बचत:
आउटसोर्स के ज़रिए भर्ती करने से सरकार को अनुबंध आधार पर की जाने वाली नियुक्ति के मुकाबले प्रति कर्मचारी 8,000 रुपये कम देने पड़ रहे हैं। दो साल के अनुबंध के बाद नियमित होने वाले कर्मचारियों के मुकाबले आउटसोर्स कर्मचारियों को 22,000 रुपये प्रति माह कम वेतन दिया जा रहा है। लाखों रुपये की बचत के लिए सरकार ने सीधी भर्ती बंद कर दी है और आगे भी ऐसा ही करने का इरादा है।
नर्स और मरीज़ का अनुपात असंतुलित:
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार, नर्स और मरीज़ का अनुपात 1:2 से 1:5 होना चाहिए, जबकि प्रदेश के अस्पतालों में यह अनुपात 1:15 से 1:18 है। ICU और CCU में भी यह अनुपात 1:3 या 1:4 है, जबकि यह 1:1 या 1:2 होना चाहिए। अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ने के बावजूद स्टाफ नर्सों के पदों में बढ़ोतरी नहीं की गई है।
एक ही काम के लिए अलग-अलग वेतन:
स्टाफ नर्सों से एक ही तरह का काम लिया जा रहा है, लेकिन उन्हें अलग-अलग वेतन दिया जा रहा है। आउटसोर्स के ज़रिए भर्ती की गईं नर्सों को 13,062 रुपये प्रति माह वेतन मिल रहा है, जो अनुबंध आधार पर मिलने वाले वेतन से 8,298 रुपये और नियमित वेतन से 22,538 रुपये कम है। टांडा मेडिकल कॉलेज में एक निजी एजेंसी के ज़रिए भर्ती की गईं नर्सों को 14,490 रुपये प्रति माह दिए जा रहे हैं।
विभाग का बयान:
स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल ने कहा कि स्टाफ नर्सों की भर्ती आउटसोर्स के आधार पर की जा रही है और फिलहाल सीधे अनुबंध पर कोई भर्ती नहीं हो रही है।
विधायक का बयान:
भरमौर के विधायक और न्यूरोसर्जन डॉ. जनराज ने कहा कि प्रशिक्षित स्टाफ नर्सों को ठेकेदारों के माध्यम से कम वेतन देना शोषण है। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में मानकों के अनुसार स्टाफ नर्सों की नियुक्ति नहीं है और मरीज़ों की बेहतर देखभाल के लिए अनुबंध आधार पर भर्ती होनी चाहिए।
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