
चंडीगढ़। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बार-बार मिल रही पेरोल और फरलो के खिलाफ शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस फैसले से हरियाणा सरकार द्वारा राम रहीम को दी जा रही पेरोल और फरलो पर विवाद थमने के आसार हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में माना है कि हरियाणा सरकार द्वारा राम रहीम को दी जा रही पेरोल और फरलो नियमों के अनुरूप है।
SGPC को हाईकोर्ट से भी नहीं मिली थी राहत
राम रहीम की पेरोल के खिलाफ SGPC पहले ही पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा चुकी थी, लेकिन वहां से भी उसे कोई राहत नहीं मिली थी। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को नियमों के अनुसार पेरोल और फरलो पर विचार करने का आदेश देते हुए SGPC की याचिका का निपटारा कर दिया था।
हरियाणा सरकार का पक्ष: राम रहीम सीधे तौर पर हत्यारोपी नहीं
हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट में दायर अपने जवाब में कहा था कि राम रहीम सीधे तौर पर हत्या का दोषी नहीं है और उसने वास्तविक हत्याओं को अंजाम नहीं दिया था। सरकार का तर्क था कि राम रहीम को हत्याओं के सह-अभियुक्तों के साथ आपराधिक साजिश रचने के लिए दोषी ठहराया गया था। सरकार ने यह भी बताया कि राम रहीम को रिहा करने की प्रक्रिया महाधिवक्ता (एजी) की कानूनी राय लेने के बाद शुरू की गई थी।
महाधिवक्ता की राय: राम रहीम ‘हार्ड कोर क्रिमिनल’ नहीं
एजी ने अपनी राय में कहा था कि राम रहीम को हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर्स (अस्थायी रिहाई) अधिनियम के तहत ‘हार्ड कोर क्रिमिनल’ की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। उनके अनुसार, राम रहीम को हत्याओं के लिए अपने सह-अभियुक्तों के साथ आपराधिक साजिश रचने के लिए दोषी ठहराया गया है, न कि वास्तविक हत्याओं के लिए।
राज्य सरकार का दावा: पांच साल की सजा पूरी होने पर फरलो का अधिकार
हाईकोर्ट में सौंपी गई अपनी विस्तृत रिपोर्ट में, राज्य सरकार ने दावा किया था कि अगर मान भी लिया जाए कि राम रहीम एक कट्टर अपराधी है, तो भी उसे फरलो पर रिहा होने का अधिकार है क्योंकि उसने जेल में पांच साल से अधिक की सजा पूरी कर ली है।
SGPC की दलीलें: पेरोल से देश की सुरक्षा को खतरा
SGPC द्वारा दायर याचिका में राम रहीम को पेरोल देने में वैधानिक नियमों के उल्लंघन के आरोप लगाए गए थे। याचिका में कहा गया था कि पेरोल देने का आदेश हरियाणा सदाचार कैदी (अस्थायी रिहाई) अधिनियम 2022 की धारा 11 के प्रविधानों के खिलाफ है। SGPC ने पेरोल की अवधि के दौरान राम रहीम के गैरकानूनी बयानों और गतिविधियों से देश की संप्रभुता और अखंडता को खतरा बताया था। याचिका में यह भी कहा गया था कि राम रहीम की पेरोल देश में सार्वजनिक सद्भाव, शांति और सामाजिक ताने-बाने को बनाए रखने के लिए खतरा है।
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