
देहरादून: उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में व्याप्त भारी अनियमितताओं का खुलासा कैग की रिपोर्ट में हुआ है. 31 मार्च 2022 को समाप्त हुए वित्त वर्ष की रिपोर्ट में बोर्ड द्वारा केंद्रीय मंत्रालय के आदेशों की अवहेलना, अपात्र लोगों को लाभ पहुंचाने, और करोड़ों रुपये के गबन जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं.
कैग रिपोर्ट में सामने आईं ये अनियमितताएं:
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घरेलू सामानों की खरीद: केंद्रीय मंत्रालय के आदेशों के विरुद्ध बोर्ड ने घरेलू सामान खरीदे. साइकिल और टूलकिट जैसी वस्तुओं का कोई हिसाब नहीं है.
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अपात्रों को राशन किट वितरण: कोविड काल में अपात्र लोगों को राशन किट बांटी गईं.
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विवाह योजना में गड़बड़ी: विवाह योजना के तहत पात्रता की जांच किए बिना ही 7.19 करोड़ रुपये अधिक बांट दिए गए. नियमों के विरुद्ध 51,000 रुपये की जगह एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी गई.
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मुआवजे में देरी: श्रमिकों की मृत्यु के बाद मुआवजा देने में नियमों के मुताबिक 60 दिन की अवधि का उल्लंघन किया गया. देहरादून और ऊधमसिंह नगर में औसतन 140 दिनों की देरी पाई गई.
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प्रसूति योजना में अधिक भुगतान: प्रसूति योजना के तहत भी नियमों के विरुद्ध अधिक भुगतान किया गया.
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गैर-पंजीकृत लाभार्थियों को लाभ: सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए 5,47,274 गैर-पंजीकृत लाभार्थियों को 215 करोड़ रुपये का लाभ दिया गया.
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डीबीटी का उपयोग नहीं: Direct Benefit Transfer (DBT) का उपयोग नहीं किया गया.
आईटी कंपनियों से साइकिल और टूलकिट की खरीद:
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साइकिल खरीद में गड़बड़ी: बोर्ड ने एक आईटी कंपनी से 32.78 करोड़ रुपये की 83,560 साइकिलें खरीदीं, लेकिन देहरादून में इनमें से केवल 6,020 ही वितरित की गईं. बाकी साइकिलों का कोई हिसाब नहीं. ऊधमसिंह नगर में कई लाभार्थियों को दो से चार बार साइकिलें बांटी गईं.
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टूलकिट गायब: दूसरी आईटी कंपनी से 33.23 करोड़ रुपये की 22,255 टूलकिट खरीदी गईं, लेकिन देहरादून में केवल 171 ही वितरित की गईं. बाकी टूलकिट का पता नहीं.
अन्य अनियमितताएं:
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निर्माण कार्यों का पंजीकरण नहीं कराया गया, जिससे बोर्ड को 88.27 लाख रुपये का नुकसान हुआ.
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बिना बजट के 607.09 करोड़ रुपये खर्च किए गए.
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13.04 करोड़ रुपये का उपकर कम वसूला गया.
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श्रमिकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा मानदंडों को लागू करने में बोर्ड विफल रहा.
कैग की सिफारिशें:
कैग ने बोर्ड से इन अनियमितताओं की जांच करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की है. साथ ही, भविष्य में ऐसी गड़बड़ियों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की भी सलाह दी है.
इस घोटाले से स्पष्ट है कि बोर्ड में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण श्रमिकों के कल्याण के लिए बनाई गई योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा है. सरकार को इस मामले की गंभीरता से जांच करनी चाहिए और दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा देनी चाहिए.
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