देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में प्रदेश में सशक्त भू-कानून को मंज़ूरी दे दी गई। मुख्यमंत्री धामी ने इस कदम को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह कानून राज्य के संसाधनों, सांस्कृतिक धरोहर और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा और प्रदेश की मूल पहचान को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
जनभावनाओं का सम्मान:
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कानून प्रदेश की जनता की लंबे समय से उठ रही मांग और उनकी भावनाओं का सम्मान करता है। उन्होंने कहा कि सरकार जनता के हितों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है और उनके विश्वास को कभी टूटने नहीं देगी। यह कानून राज्य और उसकी संस्कृति की रक्षा के लिए सरकार के संकल्प को दर्शाता है।
विपक्ष का सांकेतिक प्रदर्शन:
विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले नेता प्रतिपक्ष सहित कांग्रेस विधायकों ने सत्र की अवधि बढ़ाने, भू-कानून लागू करने और स्मार्ट मीटर के विरोध में सांकेतिक धरना दिया।
मुख्यमंत्री का विपक्ष पर तंज:
मुख्यमंत्री धामी ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि एक तरफ वे सदन की अवधि बढ़ाने की मांग करते हैं, वहीं दूसरी तरफ उपलब्ध समय का सदुपयोग नहीं करते और हंगामा करके राज्य के संसाधनों को बर्बाद करते हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष को राज्य के विकास के लिए चर्चा में भाग लेना चाहिए, न कि हो-हल्ला करके समय बर्बाद करना चाहिए।
भू-कानून को लेकर संशय दूर:
भू-कानून को लेकर बने संशय पर मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार हमेशा जनभावनाओं के अनुरूप काम करेगी, चाहे वह भू-कानून हो या कोई अन्य कानून या संकल्प।
सशक्त भू-कानून के संभावित लाभ:
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संसाधनों का संरक्षण: यह कानून राज्य के प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर संरक्षण सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है।
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सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा: यह कानून राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को अतिक्रमण और क्षति से बचाने में मदद कर सकता है।
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नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा: यह कानून भूमि संबंधी विवादों को कम करके और नागरिकों के भूमि अधिकारों को सुरक्षित करके उन्हें न्याय दिलाने में मदद कर सकता है।
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विकास को बढ़ावा: भूमि संबंधी स्पष्ट नियमों से निवेश को आकर्षित करने और राज्य में विकास को गति देने में मदद मिल सकती है।
आगे की चुनौतियाँ:
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कानून का प्रभावी क्रियान्वयन: कानून के प्रावधानों को ज़मीनी स्तर पर लागू करना एक बड़ी चुनौती होगी।
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जागरूकता का अभाव: लोगों को कानून के बारे में जागरूक करना आवश्यक होगा ताकि वे इसका लाभ उठा सकें।
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राजनीतिक विरोध: विपक्षी दल इस कानून का विरोध कर सकते हैं, जिससे राजनीतिक तनाव बढ़ सकता है.
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