नई दिल्ली: प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक और निर्माता श्याम बेनेगल का 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया। 23 दिसंबर को मुंबई में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन से भारतीय सिनेमा जगत में शोक की लहर है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जताया दुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्याम बेनेगल के निधन पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “श्याम बेनेगल जी के निधन से बहुत दुख हुआ, जिनकी कहानी कहने की कला ने भारतीय सिनेमा पर गहरा प्रभाव डाला। उनके काम को विभिन्न क्षेत्रों के लोग हमेशा याद रखेंगे। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।” राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।
फिल्मी हस्तियों ने दी श्रद्धांजलि
कई फिल्मी हस्तियों ने श्याम बेनेगल को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी। अभिनेता मनोज बाजपेयी ने लिखा, “भारतीय सिनेमा के लिए एक बड़ी क्षति। श्याम बेनेगल सिर्फ एक दिग्गज ही नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी थे जिन्होंने कहानी कहने के तरीके को बदल दिया और पीढ़ियों को प्रेरित किया।” उन्होंने ‘जुबैदा’ फिल्म में उनके साथ काम करने के अपने अनुभव को भी साझा किया और कहा कि उनसे बहुत कुछ सीखा।
श्याम बेनेगल ने अपने बेहतरीन काम से भारतीय सिनेमा को एक नई दिशा दी। उनकी फिल्में सामाजिक मुद्दों पर केंद्रित रहीं और उन्होंने समाज के अलग-अलग पहलुओं को अपनी फिल्मों के माध्यम से दुनिया के सामने रखा। उनका योगदान भारतीय सिनेमा में हमेशा याद रखा जाएगा।
2008 | वेल्कम टू सज्जनपुर | |
2005 | नेताजी सुभाष चन्द्र बोस | |
2001 | ज़ुबेदा | |
2000 | हरी भरी | |
1999 | समर | |
1996 | सरदारी बेगम | |
1994 | मम्मो | |
1993 | सूरज का सातवाँ घोड़ा | |
1991 | अंतर्नाद | |
1988 | भारत एक खोज | |
1986 | यात्रा | दूरदर्शन धारावाहिक फ़िल्म |
1985 | त्रिकाल | |
1983 | मंडी | |
1982 | आरोहण | |
1981 | कलयुग | |
1978 | जुनून | |
1978 | कोन्दुरा | |
1977 | भूमिका | |
1976 | मंथन | |
1975 | निशांत | |
1974 | अंकुर | |
1987 | सुसमन |