देहरादून: उत्तराखंड में हड़ताल, बंद, दंगा, विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से क्षतिपूर्ति वसूल करने का रास्ता साफ हो गया है। राज्यपाल ने विधानसभा से पारित उत्तराखंड लोक एवं निजी संपत्ति क्षति वसूली विधेयक को मंजूरी दे दी है। अब यह अधिनियम का स्वरूप ले लेगा।
कानून में क्या है?
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राज्य में हड़ताल, बंद, दंगा और विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से संपत्ति के नुकसान की क्षतिपूर्ति ली जाएगी।
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संपत्ति के मूल्य की गणना बाजार भाव के हिसाब से की जाएगी।
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मृत्यु होने पर कानूनी धाराएं लगेंगी और साथ ही आरोपित को क्षतिपूर्ति भी देनी होगी।
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मृत्यु की दशा में प्रतिकर की न्यूनतम राशि सात लाख और स्थायी निशक्तता की स्थिति में दो लाख रुपये होगी।
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क्षति की वसूली के लिए संबंधित विभाग और निजी व्यक्ति को तीन माह के भीतर दावा करना होगा।
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यह दावा सेवानिवृत्त जिला जज की अध्यक्षता में बनने वाले विभिन्न दावा अधिकरणों में किया जा सकेगा।
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आरोप तय होने पर संबंधित व्यक्ति को एक माह के भीतर क्षतिपूर्ति जमा करनी होगी। ऐसा न करने पर दंड के प्रविधान भी किए गए हैं।
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इसमें आरोपित की संपत्ति कुर्क करना भी शामिल है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बयान:
“राज्य के लिए उत्तराखंड लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली कानून अति आवश्यक है। कानून बनाने के पीछे उद्देश्य यह है कि कोई भी इस प्रकार का अपराध करने की सोचे भी नहीं। उत्तराखंड शांत राज्य है। देवभूमि में कोई भी दंगा करेगा, उपद्रव करेगा, तोडफ़ोड़ करेगा, आगजनी करेगा तो संपत्ति के नुकसान की एक-एक पाई उसी दंगाई से वसूली जाएगी। इसके लिए राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) का आभार।”
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