धर्मशाला। हिमाचल सरकार सर्दियों में बिजली खपत की भरपाई के लिए सौर ऊर्जा का उत्पादन करने पर जोर देगी। सरकार बिजली खरीद पर खर्च होने वाले सालाना एक हजार करोड़ रुपये की बचत कर सकेगी। आगामी वर्ष दिसंबर तक 500 मेगावाट सौर ऊर्जा के दोहन का सरकार का लक्ष्य है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू विधानसभा में गगरेट के विधायक चैतन्य शर्मा द्वारा नवीकरण ऊर्जा दृष्टिकोण पर चर्चा के लिए लाए प्रस्ताव पर सदन को बताया। सीएम ने कहा कि प्रदेश की जलवायु व पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए उद्योगों को मंजूरी मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चार माह में पेखूवाला में प्रदेश का सबसे बड़ा 32 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित होगा। सरकार का लक्ष्य प्रदेश को 2026 तक ग्रीन एनर्जी स्टेट बनाने का है। इलेक्ट्रिक वाहन की खरीद पर सरकार 50 प्रतिशत उपदान दे रही है। अब तक 582 युवाओं ने वाहन खरीदने के लिए आवेदन किया है। सरकार फासफोर्स एनर्जी के दोहन की दिशा में भी आगे बढ़ रही है। निजी कंपनी के साथ करार किया है। कंपनी 50 करोड़ रुपये से एक प्रोजेक्ट हिमाचल में लगा रही है। इससे पहले विधायक चैतन्य शर्मा ने नियम 63 के तहत इस मामले को उठाया।
विधायक त्रिलोक जम्वाल ने सरकार द्वारा 800 मेगावाट के पावर प्रोजेक्ट को रद करने का विरोध किया तथा कहा कि जिन लोगों ने वर्षों पहले इन प्रोजेक्टों के लिए एमओयू हस्ताक्षर किए हैं, उन पर वाटर सेस लगाना गलत है। जब तक प्रदेश में अनिश्चितता का माहौल बना रहेगा, तब तक कोई भी निवेश करना नहीं चाहेगा। उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहनों की ऊंची कीमतों का विरोध किया। विधायक जीत राम कटवाल ने कहा कि राज्य में नवीकरण और हरित ऊर्जा के लिए बनी नीतियों में कमियां रही हैं। भाजपा विधायक डा. हंसराज ने कहा कि हम ऊर्जा उत्पादन का सही दोहन करने में असफल हुए हैं।
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