नई दिल्ली। मणिपुर के कई जिलों में भड़की हिंसा के बाद इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी है। भारतीय सेना ने ट्वीट किया और लिखा कि असम राइफल्स पोस्ट पर हमले के वीडियो सहित मणिपुर में सुरक्षा स्थिति पर नकली वीडियो को कुछ लोगों द्वारा अपने स्वार्थों के लिए प्रसारित किया जा रहा है। भारतीय सेना सभी से केवल आधिकारिक और सत्यापित स्रोतों के माध्यम से मिलने वाली जानकारी पर ही भरोसा करने का अनुरोध करती है।
मणिपुर में कानून व्यवस्था की स्थिति के बाद, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने मणिपुर जाने वाली सभी ट्रेनों को रोक दिया गया है। एनएफ रेलवे के सीपीआरओ सब्यसाची डे ने कहा कि स्थिति में सुधार होने तक कोई ट्रेन मणिपुर में प्रवेश नहीं कर रही है। असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने ट्वीट कर कहा कि मणिपुर में हाल की घटनाओं से प्रभावित कई परिवारों ने असम में शरण ली है। मैंने कछार के जिला प्रशासन से इन परिवारों की देखभाल करने का अनुरोध किया है। मैं सीएम एन बीरेन सिंह के साथ भी लगातार संपर्क में हूं और इस संकट की घड़ी में असम सरकार को पूरा समर्थन देने का वादा किया है।
मणिपुर में भड़की हिंसा को लेकर सेना के प्रवक्ता ने बताया कि अभी तक हिंसाग्रस्त चूड़चंदपुर में करीब 5,000 लोगों को सुरक्षित गृहों में पहुंचाया गया है, वहीं 2,000 लोगों को इंफाल घाटी और 2,000 अन्य लोगों को तेंगनौपाल जिले के सीमावर्ती शहर मोरेह में निकाला गया है। बता दें कि राज्य की आबादी में 53 प्रतिशत हिस्सा रखने वाले गैर-आदिवासी मैती समुदाय की एसटी दर्जे की मांग के खिलाफ चूड़चंदपुर जिले के तोरबंग इलाके में आल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर (एटीएसयूएम) के बुलाए गए आदिवासी एकजुटता मार्च के दौरान बुधवार को हिंसा भड़क गई थी। राज्य में आदिवासियों की आबादी लगभग 40 प्रतिशत है। मैती समुदाय की मांग के संबंध में पिछले महीने मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को 4 सप्ताह के भीतर केंद्र सरकार को एक सिफारिश भेजने के लिए कहा था। इसके बाद ही एटीएसयूएम ने मार्च का आयोजन किया था। पुलिस के अनुसार, तोरबंग क्षेत्र में मार्च के दौरान सशस्त्र लोगों की भीड़ ने कथित तौर पर मैती समुदाय के लोगों पर हमला किया था। इसके जवाब में घाटी के जिलों में जवाबी हमले हुए, जिसके कारण पूरे राज्य में हिंसा भड़क गई।
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