देहरादून। कार्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरो टाइगर सफारी में निर्माण और पेड़ कटान के बहुचर्चित मामले में तत्कालीन वन मंत्री डा हरक सिंह रावत की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी के बाद अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की गठित कमेटी ने भी टाइगर सफारी के लिए अवैध कटान और अवैध निर्माण के लिए हरक सिंह रावत और कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग के तत्कालीन डीएफओ किशन चंद को जिम्मेदार ठहराया है।
टाइगर सफारी में बिना स्वीकृति के निर्माण कार्यों का मामला वर्ष 2021 में प्रकाश में आया था। शिकायत पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने जांच में शिकायतों को सही पाते हुए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति हुई। इस प्रकरण की विभागीय और विजिलेंस जांच में सामने आया कि टाइगर सफारी के लिए पाखरो से कालागढ़ वन विश्राम गृह तक के क्षेत्र में कराए गए निर्माण कार्यों के लिए किसी प्रकार की वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति नहीं ली गई थी। मामले में तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग और कालागढ़ टाइगर रिजर्व के डीएफओ किशन चंद को निलंबित कर दिया गया था। यह दोनों आईएफएस सेवानिवृत्त हो चुके हैं।