नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के यमुनानगर में एक स्कूल के खेल मैदान के मामले में तल्ख टिप्पणी की है कि”खेल के मैदान के बिना कोई स्कूल नहीं हो सकता। इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी अच्छे पर्यावरण/माहौल के हकदार हैं।” स्कूल के खेल मैदान के लिए आरक्षित जमीन पर अनधिकृत कब्जे को लेकर कोर्ट ने जमीन खाली कर स्कूल को सौंपने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा है कि अगर इस अवधि में अवैध कब्जेदार जमीन खाली कर नहीं सौंपते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई कर कब्जा हटाया जाए। यह फैसला न्यायमूर्ति एमआर शाह और बीवी नागरत्ना की पीठ ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया।
हाई कोर्ट चंडीगढ़ ने भगवानपुर गांव के स्कूल की जमीन पर हुए अतिक्रमण को कब्जेधारियों के लिए नियमित करने की अनुमति दे दी थी। साथ ही बाजार कीमत के मुताबिक जमीन का पैसा लेने और स्कूल के खेल के मैदान के लिए वैकल्पिक जमीन पर विचार करने की भी बात की थी। हाई कोर्ट ने यह आदेश अनधिकृत कब्जेदारों की याचिका पर दिया, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट याचिका दाखिल हुई। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को गलत ठहराया। दो जजों की बैंच ने कहा कि उस जगह के मानचित्र, स्कैच देखने के बाद पाया कि हाई कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश लागू होने लायक नहीं हैं।
शीर्ष कोर्ट ने कहा कि स्कूल और स्कूल के खेल के मैदान के लिए आरक्षित जमीन पर अवैध कब्जे को देखते हुए उस जमीन को नियमित (लीगलाइज) करने का आदेश नहीं दिया जा सकता। कोई भी स्कूल खेल के मैदान (प्ले ग्राउंड) के बगैर नहीं हो सकता। शीर्ष कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर कहा कि हाई कोर्ट ने अवैध कब्जेदारों के कब्जे को बाजार कीमत वसूल कर लीगलाइज करने का निर्देश देकर बड़ी भूल की है।