शिमला। हिमाचल प्रदेश को नशा मुक्त बनाने के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के संकल्प को जमीन पर उतारने के लिए एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। मुख्यमंत्री के निर्णायक नेतृत्व में राज्य को नशा मुक्त बनाने के लक्ष्य को मजबूत करने के लिए जमीनी स्तर पर एक साथ बड़ी कार्रवाई की गई है। इस पहल के तहत राज्य की 234 ऐसी पंचायतों में नशा मुक्ति समितियों की बैठकें बुलाई गईं जो नशे से सबसे ज्यादा प्रभावित मानी जाती हैं। इन बैठकों का आयोजन सामुदायिक भागीदारी को मजबूत करने और स्थानीय स्तर पर एक प्रभावी रोकथाम तंत्र को सक्रिय करने के उद्देश्य से किया गया।
ये बैठकें 2 दिसंबर 2025 को धर्मशाला में आयोजित छठी राज्य स्तरीय एनसीओआरडी बैठक के दौरान लिए गए निर्णयों के अनुपालन में आयोजित की गईं। उस बैठक में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में जोर दिया था कि नशे के खिलाफ लड़ाई को अब केवल एक प्रशासनिक कवायद तक सीमित नहीं रखा जा सकता। इसे एक राज्यव्यापी जन आंदोलन में बदलने की जरूरत है और इसके लिए नशा मुक्ति समितियों को फिर से सक्रिय करना एक प्रमुख स्तंभ साबित होगा।
इन बैठकों का मुख्य उद्देश्य नशा मुक्ति समितियों का पुनर्गठन और उन्हें नई जान देना था। इसके अलावा पंचायत स्तर पर मौजूदा नशे की स्थिति का व्यापक आकलन करना, संवेदनशील क्षेत्रों और हॉटस्पॉट की पहचान करना भी एजेंडे में शामिल था। पुलिस, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य संबंधित विभागों के समन्वित प्रयासों के जरिए ठोस और समयबद्ध कार्ययोजना तैयार करने पर भी विचार विमर्श किया गया। बैठकों में विशेष रूप से सामुदायिक भागीदारी खासकर युवाओं को जोड़ने और एक मजबूत निगरानी तंत्र स्थापित करने पर जोर दिया गया।
बैठकों के दौरान नशा तस्करी से संबंधित स्थानीय खुफिया जानकारी की समीक्षा की गई और समुदाय आधारित जागरूकता कार्यक्रमों की योजना बनाई गई। साथ ही भविष्य की रोकथाम और प्रवर्तन रणनीतियों पर विस्तृत चर्चा हुई। इन प्रयासों का लक्ष्य नशा विरोधी अभियान को जमीनी स्तर पर अधिक प्रभावी बनाना है ताकि समाज इस सामूहिक मिशन में एक सक्रिय हिस्सेदार बन सके।
मुख्यमंत्री की अपील को दोहराते हुए हिमाचल प्रदेश पुलिस ने सभी नागरिकों और विशेष रूप से युवाओं से आग्रह किया है कि वे नशे के दुरुपयोग या तस्करी से संबंधित कोई भी जानकारी तुरंत साझा करें। लोग 112 नंबर डायल करके या नजदीकी पुलिस स्टेशन से संपर्क करके सूचना दे सकते हैं। पुलिस ने भरोसा दिलाया है कि सूचना देने वाले व्यक्ति की पहचान पूरी तरह से गुप्त रखी जाएगी। सरकार का मानना है कि जनभागीदारी से ही नशे के इस जाल को तोड़ा जा सकता है और देवभूमि को नशा मुक्त बनाया जा सकता है।