देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार को भारी हंगामे के साथ शुरू हुआ, जिसके कारण सदन की कार्यवाही को बार-बार स्थगित करना पड़ा। विपक्ष, विशेषकर कांग्रेस, ने कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार को घेरा और अपना विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया, जिससे सदन के भीतर अप्रिय स्थिति उत्पन्न हो गई।
सत्र की शुरुआत सुबह 11 बजे हुई, लेकिन जल्द ही हंगामे की भेंट चढ़ गई। शुरुआती कार्यवाही में दिवंगत पूर्व विधायक मुन्नी देवी को श्रद्धांजलि दी गई। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सबसे पहले श्रद्धांजलि अर्पित की, जिसके बाद कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, धन सिंह रावत और मंत्री सौरभ बहुगुणा ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुन्नी देवी को याद करते हुए कहा कि उन्होंने अपने पति, पूर्व विधायक मदन लाल शाह की मृत्यु के बाद न केवल अपने परिवार को संभाला, बल्कि उनकी राजनीतिक विरासत को भी आगे बढ़ाया। मुख्यमंत्री ने बताया कि मुन्नी देवी जनता से सीधा संवाद करने में विश्वास रखती थीं और बीमारी में भी अपने क्षेत्र के लिए चिंतित रहती थीं। इस दौरान एक क्षण ऐसा भी आया जब मुख्यमंत्री का माइक खराब हो गया और उन्हें अपनी कुर्सी से पीछे जाकर मंत्री के माइक से बोलना पड़ा।
हालांकि, श्रद्धांजलि प्रस्ताव पर चर्चा के बाद सदन में अराजकता फैल गई। कांग्रेस विधायकों ने सरकार के खिलाफ अपना विरोध तेज कर दिया। उन्होंने सदन की कार्यसूची फाड़कर सदन में उछाली और वेल में धरने पर बैठ गए। स्थिति तब और बिगड़ गई जब विपक्षी नेताओं ने सचिव की टेबल पलटने की कोशिश की और माइक तोड़ दिया। कांग्रेस विधायक लगातार नारेबाजी करते हुए कागज लहरा रहे थे। विधानसभा अध्यक्ष ने इस पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यह “बेहद दुखद” है और उन्होंने सदन के अंदर सचिव की टेबल, माइक और टैबलेट को तोड़े जाने का जिक्र किया। बसपा विधायक मोहम्मद शहजाद भी कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए।
विपक्ष के लगातार हंगामे और तोड़फोड़ के कारण सदन की कार्यवाही को कई बार स्थगित करना पड़ा। पहले सुबह 11:12 बजे कार्यवाही को 11:30 बजे तक के लिए स्थगित किया गया। इसके बाद कार्यवाही पुनः शुरू हुई, लेकिन 11:24 बजे इसे 12:30 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। हंगामा जारी रहने के कारण, 11:32 बजे तीसरी बार स्थगन अवधि को बढ़ाया गया, और सदन को 12 बजे तक के लिए स्थगित किया गया। अंततः, दोपहर 1:11 बजे सदन की कार्यवाही को फिर से 3 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
सत्र के पहले दिन सदन पटल पर अनुपूरक अनुदान मांगों को पेश किया जाना था, लेकिन विपक्ष के भारी विरोध और हंगामे के कारण सदन में कोई भी महत्वपूर्ण विधायी कार्य नहीं हो सका।