लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विद्युतकर्मियों की हड़ताल पर हाईकोर्ट के सख्त निर्देश के योगी सरकार ने भी सख्त रुख अपना लिया। सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद हड़ताल को असंवैधानिक घोषित किया है। सरकार ने बिजली आपूर्ति में व्यवधान डालने और तोड़फोड़ करने वालों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करने को कहा है। ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने काम पर न आने वाले आउटसोर्सिंग व संविदा कार्मिकों की सेवाएं भी तत्काल समाप्त करने के आदेश दिये हैं। अभी तक 1281 संविदकर्मियों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं। कई अभियंताओं के खिलाफ एफआइआर भी दर्ज हुई है।
उत्तर प्रदेश में विद्युत कर्मियों के हड़ताल से बिजली आपूर्ति प्रदेश भर में प्रभावित है। इसको लेकर हाईकोर्ट ने हड़ताल को असंवैधानिक करार देते हुए सरकार को उचित कदम उठाने के निर्देश दिये। देर रात पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने 19 हड़ताली संगठनों के पदाधिकारियों को हाईकोर्ट के आदेश की प्रति भेजते हुए तत्काल हड़ताल समाप्त कर ड्यूटी पर लौटने के निर्देश दिए। गुरुवार रात 10 बजे से 72 घंटे की शुरू हुई हड़ताल के मद्देनजर सरकार और पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने व्यापक वैकल्पिक इंतजाम करने का दावा तो किया लेकिन हड़ताल के चलते प्रदेश के कई हिस्से में बिजली की आपूर्ति लड़खड़ा गई। गांव से लेकर शहरों तक में घंटों बिजली की आपूर्ति ठप रहने से प्रदेशवासियों को तमाम दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है।
मंत्री ने डीजी विजलेंस (पावर कारपोरेशन) को निर्देश दिए कि स्थानीय पुलिस के सहयोग से ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करने वाले कार्मिकों का किसी भी प्रकार से उत्पीड़न नहीं होने दिया जाएगा। शर्मा ने कहा कि बिजली का उत्पादन, मांग-आपूर्ति नियंत्रण में है। केन्द्रीय पूल से भी पर्याप्त बिजली मिल रही है। प्रदेशवासियों से धैर्य बनाए रखने का आह्वान करते हुए मंत्री ने कहा कि जल्द ही समस्या का समाधान कर लिया जाएगा। शर्मा ने कहा कि संयुक्त संघर्ष समिति के कार्य जन विरोधी हैं इसीलिए कुछ और संगठनों ने कार्य बहिष्कार, हड़ताल से अपने आपको अलग कर लिया है।