कोटद्वार से चुनाव लड़ने से क्यों डर रहे हैं हरक 

देहरादून। कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत उत्तराखंड की सियासत में ऐसे राजनेता हैं, जो बार बार विधानसभा क्षेत्र बदल कर चुनाव लड़ते हैं और जीतते हैं। यह उनकी जीत का मंत्र भी हो सकता है। इस बार फिर उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार को छोड़ने का इरादा जाहिर कर  दिया है। जिस कोटद्वार की जनता के लिए वह मेडिकल कालेज नहीं मिलने पर इस्तीफा तक देने को आमादा हो गए थे अब उसी जनता पर उन्हें भरोसा नहीं है। कोटद्वार का रण छोड़ने की बड़ी वजह तो हरक ने बताई नहीं, लेकिन माना जा रहा है कि कांग्रेस के नेता सुरेंद्र सिंह नेगी की मजबूत स्थिति से हरक को डर सताने लगा है।
हरक सिंह रावत ने कोटद्वार के बजाए चार विकल्प सुझाये हैं, इसमें पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की सीट डोईवाला, कोटद्वार के बगल वाली लैंडडौन सीट जहां से महंत दिलीप रावत भाजपा के विधायक हैं। हरक दो बार इस सीट से पहले जीत भी चुके हैं। तीसरा विकल्प केदारनाथ विधानसभा सीट है। यहां से कांग्रेस के मनोज रावत विधायक हैं। चौथा विकल्प यमकेश्वर है, जहां से पूर्व सीएम भुवन चंद्र खंडूड़ी की बेटी ऋतु खंडूडी विधायक हैं।
हरक के चार विकल्प में से तीन तो भाजपा के सीटिंग विधायक वाले हैं जहां उनको नाराज कर हरक को टिकट देना आसान नहीं दिख रहा। चौथा केदारनाथ हैं, जहां भाजपा को उचित लगा तो विचार हो भी सकता है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि कोटद्वार सीट को हरक क्यों छोड़ना चाह रहे हैं। कोटद्वार में भाजपा के पास ज्यादा विकल्प भी नहीं है। केवल हरक की विधायकी को बचाने के लिए उनकी सीट बदलने पर भाजपा का नेतृत्व कितना तैयार होगा यह तो भविष्य ही तय करेगा। 
इस बीच यह भी सुगबुगाहट हैं कि हरक कांग्रेस में भी जा सकते हैं। उनके कांग्रेस में जाने की वजह भी कोटद्वार बताई जा रही है। कोटद्वार के बजाए हरक कांग्रेस से दूसरी सीट मांगगे। इन समीकरणों से एक बात तो साफ हो रही हो रही है कि जिस कोटद्वार की जनता की दुहाई देकर हरक ने मंत्री पद से इस्तीफा देने की सीएम पुष्कर सिंह धामी को धमकी दे दी वहां से उनका मन भर गया है। 

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