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भारतीय परंपरा में किसी वृक्ष या पौधे को अपने उपयोग के लिए लगाना, काटना या उसके पत्ते लेना आदि के लिए नियत समय यानी मुहूर्त तय किया गया है। कई जगहों पर आज भी इसी परंपरा का पालन किया जाता है। इसके साथ ही देवों के पूजन आदि के लिए भी दिन तय किए गए हैं। इनमें से रविवार को भगवान विष्णु को सर्वाधिक प्रिय माना जाता है। वहीं तुलसी भी विष्णु प्रिया मानी जाती हैं। इसलिए रविवार के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़े जाते हैं। माना जाता है कि विष्णु भक्त होने की वजह से रविवार को तुलसी उनकी भक्ति में लीन रहती हैं। उनकी तपस्या भंग न हो इसलिए रविवार के दिन गमले में पानी भी नहीं दिया जाता है। ऐसा करना तुलसी को नष्ट करने के समान माना गया है। वहीं सप्ताह के सातों दिनों में रवि और मंगल को क्रूर तो शनि को अशुभ वार माना जाता है। इसलिए मंगल और शनिवार को भी तुलसी के पत्ते तोड़ना निषेध है। साथ ही एकादशी भी तुलसी को प्रिय है। देवउठनी एकादशी के दिन ही तुलसी विवाह संपन्न कराया जाता है। इसलिए एकादशी पर तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए।