नैनीताल : प्रदेश की जेलों में सीसीटीवी कैमरे व अन्य सुविधाओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर बुधवार को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। गृह सचिव रंजीत सिन्हा व जेल महानिदेशक पुष्कर ज्योति वीसी के माध्यम से पेश हुए। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अभी हम 21वीं सदी में हैं, जेलों की दशा सेलूलर जेल या अहमदनगर जेल से कम नहीं है। नैनीताल जेल व सब जेल हल्द्वानी की भी हालत दयनीय है। अधिकारी अपने बच्चों को 24 घंटे इस हालत में रखकर देखें। खंडपीठ ने चेरापल्ली तेलंगाना जेल का उदाहरण भी दिया, जहां पर सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं। कोर्ट ने सरकार को जेलों की सुविधाओं को लेकर कमेटी का गठन करने व उसके सुझावों पर अमल करने का आदेश सरकार को दिया। इसकी रिपोर्ट हर माह तीसरे सप्ताह कोर्ट में पेश करने के लिए भी कहा। नई जेलों का निर्माण, गढ़वाल मंडल में खुली जेलों की मरम्मत के लिए बजट, कैदियों के रोजगार के लिए फैक्ट्री, बच्चों के लिए स्कूल, जेलों में पर्याप्त स्टाफ की भर्ती, स्थाई मेडिकल स्टाफ व बाथरूम की बेहतर व्यवस्था के लिए सरकार को निर्देशित किया।
सरकार के हलफनामे ने चौंकाया
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ में गृह सचिव व महानिदेशक जेल ने शपथ पत्र पेश किया। इसमें बताया कि हरिद्वार जेल की क्षमता 870 है। वर्तमान में कैदी 1400 हैं। इनके रहने के लिए 23 बैरक हैं। प्रति बैरक 65 कैदी, 65 महिला कैदियों के लिए एक बैरक। स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर डाक्टर को फोन कर बुलाया जाता है। खाना लकडिय़ों से बनाया जाता है।
उप कारागार रुड़की में 200 की क्षमता वर्तमान में 625 कैदी, आठ बैरक में प्रति बैरक 75 कैदी और 18 महिला कैदी एक बैरक में। देहरादून जेल की क्षमता 518, वर्तमान में 1491 कैदी। 26 बैरक में प्रति बैरक 54 कैदी। 87 महिला कैदी दो बैरक में। उपकारागार हल्द्वानी की क्षमता 535, वर्तमान में 1736 कैदी। नौ बैरक में प्रति बैरक 180 कैदी। यहां रोटियां फर्श पर बनाई जाती हैं। नैनीताल जेल की क्षमता 70, वर्तमान में 174, कोई बैरक नहीं, कैदी जमीन पर सोते हैं। अल्मोड़ा जेल की क्षमता 102 वर्तमान में 325 कैदी, छह बैरक में प्रति बैरक 52 कैदी। 11 महिला कैदी हैं। चमोली जेल में 114 कैदी, कोई बैरक नहीं, कैदी टिनशेड में सोते हैं। पिथौरागढ़, बागेश्वर, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग व चंपावत में जिला जेल नहीं है।
चम्पावत जिला जज से रिपोर्ट तलब
कोर्ट ने लोहाघाट की जेल के बारे में कहा कि कैदियों को बैरक में जानवरों की तरह ठूस कर रखा है। उनका खाना बाथरूम में बन रहा है। चम्पावत जिला जज से पूरे मामले की रिपोर्ट तलब कर ली। कोर्ट ने यह भी कहा कि छोटे अपराध में शामिल कैदियों को पैरोल पर क्यों नहीं छोड़ा जा रहा। ऐसे में जिनकी सजा आधे से अधिक हो चुकी है, जिनका आचरण अच्छा है, उन्हें भी पैरोल पर छोडऩे का विचार करें।
यह थी याचिका
हल्द्वानी निवासी संतोष उपाध्याय व अन्य ने अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में आदेश जारी कर जेलों में सीसीटीवी कैमरे लगाने और मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का आदेश दिया था। लेकिन प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया।