देहरादून। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में चल रहा जन जन की सरकार जन जन के द्वार अभियान सुशासन का एक नया अध्याय लिख रहा है। यह अभियान प्रदेश में संवेदनशील प्रशासन और जनता की समस्याओं के त्वरित समाधान का एक प्रभावी मॉडल बनकर सामने आया है। गुरुवार 26 दिसंबर को प्रदेश के 13 जिलों में 126 शिविरों का आयोजन किया गया जिनमें 64 हजार 960 नागरिकों ने सीधे तौर पर हिस्सा लिया। इन शिविरों का असर यह रहा कि करीब 10 हजार 962 शिकायतें प्राप्त हुईं जिनमें से 7 हजार 952 शिकायतों का मौके पर ही या समयबद्ध तरीके से निपटारा कर दिया गया।
इस अभियान ने साबित कर दिया है कि सरकार अब केवल फाइलों तक सीमित नहीं है। शिविरों के माध्यम से 12 हजार 399 मामलों में विभिन्न तरह के प्रमाण पत्र और सरकारी लाभ दिए गए। इसके अलावा लगभग 39 हजार 923 नागरिकों को अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं का फायदा पहुंचाया गया। ये आंकड़े मुख्यमंत्री धामी की कार्यसंस्कृति और जवाबदेही का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।
मुख्यमंत्री ने इस सफलता पर संतोष जताते हुए कहा कि उनकी सरकार का संकल्प साफ है कि जनता को दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे बल्कि सरकार खुद उनके दरवाजे तक पहुंचेगी। उन्होंने कहा कि इस अभियान का मकसद समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक सरकारी योजनाओं का लाभ बिना किसी बाधा के पहुंचाना है। हर शिकायत का समय पर समाधान करना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
अधिकारियों को सख्त निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जो दिव्यांग, बुजुर्ग या कमजोर वर्ग के लोग शिविरों तक आने में असमर्थ हैं उनके घर तक अधिकारी खुद जाएं। उन्होंने दो टूक कहा कि शिकायतों और आवेदनों का निस्तारण केवल कागजों पर नहीं बल्कि हकीकत में होना चाहिए। किसी भी स्तर पर लापरवाही या टालमटोल बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि जनसेवा में कोताही बरतने वाले अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। हर जिले में फीडबैक के आधार पर निगरानी सुनिश्चित की जा रही है ताकि योजनाओं का लाभ पारदर्शिता और गरिमा के साथ मिल सके। यह अभियान सरकार और जनता के बीच विश्वास का एक मजबूत सेतु बन गया है।