लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने ईंट भट्ठा संचालकों के लिए नियमों में एक बड़ा और सख्त बदलाव किया है। अब प्रदेश में ईंट भट्ठों के लिए मिट्टी के खनन की एनओसी यानी नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य कर दिया गया है। सरकार के नए आदेश के मुताबिक ईंट भट्ठा संचालकों को मिट्टी खनन शुरू करने से पहले पर्यावरण विभाग से एनओसी लेनी होगी और सभी पर्यावरणीय शर्तों का पालन करना होगा। अगर कोई बिना एनओसी के मिट्टी उठाता पकड़ा गया तो उसके खिलाफ भट्ठा बंद करने से लेकर भारी जुर्माने तक की कार्रवाई की जा सकती है।
इससे पहले प्रदेश में दो मीटर तक की गहराई तक मिट्टी के खनन के लिए किसी तरह की एनओसी की जरूरत नहीं होती थी। मई 2020 में सरकार ने भट्ठा संचालकों को राहत देते हुए दो मीटर तक हाथ से मिट्टी खुदाई के लिए छूट दी थी। इससे प्रदेश के करीब 22 हजार ईंट भट्ठा संचालकों को बड़ी राहत मिली थी। लेकिन इस छूट को न्यायालय में चुनौती दी गई थी जिसके बाद अब प्रदेश सरकार ने साधारण मिट्टी के खनन पर मिली इस छूट को पूरी तरह खत्म कर दिया है।
पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सचिव मनीष मित्तल की ओर से जारी आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि अब साधारण मिट्टी के खनन को नियंत्रित किया जाएगा। खासतौर पर तालाबों, नदियों, मेड़ों और जल संरचनाओं के आसपास होने वाले मिट्टी खनन पर विशेष निगरानी रखी जाएगी ताकि पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।
इस नए आदेश के लागू होने के बाद अब भट्ठा संचालकों को मिट्टी खनन से पहले पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के परिवेश पोर्टल पर एनओसी के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन के साथ उन्हें उस जमीन के कागजात भी लगाने होंगे जहां से वे मिट्टी की खुदाई करना चाहते हैं। इसके अलावा उन्हें खनन का पूरा प्लान भी जमा करना होगा। ऑनलाइन आवेदन के समय यह बताना भी जरूरी होगा कि जिस जगह खनन किया जाएगा वहां प्रदूषण से बचाव के लिए क्या उपाय किए जाएंगे।
सरकार ने सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इस आदेश का कड़ाई से पालन कराया जाए। बिना अनुमति या तय मानकों के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकार का मकसद है कि खनन प्रक्रिया पारदर्शी हो और पर्यावरण मानकों का उल्लंघन न हो।