Punjab: मनरेगा का नाम बदलने के विरोध में भगवंत मान ने बुलाया विधानसभा का विशेष सत्र और केंद्र सरकार पर बोला हमला – The Hill News

Punjab: मनरेगा का नाम बदलने के विरोध में भगवंत मान ने बुलाया विधानसभा का विशेष सत्र और केंद्र सरकार पर बोला हमला

चंडीगढ़। केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा का नाम बदलकर विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एवं आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी जी राम जी करने के फैसले के खिलाफ अब पंजाब सरकार भी खुलकर मैदान में आ गई है। लोकसभा में इस विधेयक के पास होने के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कड़ा विरोध जताते हुए इसे गरीबों और मजदूर वर्ग के हितों के खिलाफ बताया है। इस विरोध को दर्ज कराने के लिए उन्होंने पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का ऐलान किया है जो जनवरी के दूसरे सप्ताह में आयोजित किया जाएगा।

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार मनरेगा जैसी अहम योजना का नाम बदलकर गरीबों के घरों के चूल्हे ठंडे करने की कोशिश कर रही है। मान का कहना है कि यह योजना गरीबों और मजदूरों की रोजी रोटी का सबसे बड़ा सहारा है और इसके साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि केंद्र की इस धक्केशाही के खिलाफ पंजाब अपनी आवाज बुलंद करेगा और विधानसभा का विशेष सत्र इसी मकसद से बुलाया जा रहा है।

इस मुद्दे पर विरोध दर्ज कराने वाला पंजाब अब पश्चिम बंगाल के बाद देश का दूसरा राज्य बन गया है। इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी केंद्र सरकार के इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जता चुकी हैं। ममता बनर्जी ने तो यहां तक कह दिया है कि उनकी सरकार अपनी रोजगार गारंटी योजना का नाम महात्मा गांधी के नाम पर ही रखेगी और केंद्र के नाम परिवर्तन को किसी भी हाल में स्वीकार नहीं करेगी।

पंजाब सरकार का स्पष्ट मानना है कि मनरेगा केवल एक सरकारी योजना भर नहीं है बल्कि यह ग्रामीण गरीबों, खेत मजदूरों और जरूरतमंद परिवारों के लिए आजीविका का एक मजबूत आधार है। ऐसे में इसका नाम बदलना और इसकी संरचना में बदलाव करना सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से एक गलत संदेश देता है।

गौरतलब है कि नए विधेयक के तहत वित्तीय हिस्सेदारी का जो ढांचा तय किया गया है उसमें केंद्र सरकार 60 प्रतिशत और राज्य सरकारों को 40 प्रतिशत हिस्सा वहन करना होगा। पंजाब सरकार का मानना है कि बिना राज्यों की सहमति लिए इस तरह का एकतरफा फैसला संघीय ढांचे की भावना के भी खिलाफ है। भगवंत मान सरकार इस मुद्दे को लेकर आर पार की लड़ाई के मूड में नजर आ रही है।

 

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