देहरादून। पब्लिक रिलेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया यानी पीआरएसआई के तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन का सोमवार की शाम रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ भव्य समापन हुआ। इस अधिवेशन में न केवल देशभर से बल्कि रूस से भी प्रतिनिधियों ने शिरकत की। करीब तीन सौ से अधिक जनसंपर्क और संचार विशेषज्ञों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लेकर अपने विचार साझा किए। अधिवेशन के दौरान उत्तराखंड की लोक विरासत, कला, संस्कृति और विकास यात्रा को दर्शाने के लिए एक भव्य प्रदर्शनी भी आयोजित की गई थी जिसने सभी आगंतुकों को खासा प्रभावित किया।
सहस्रधारा रोड स्थित द एमराल्ड ग्रैंड होटल में आयोजित इस प्रदर्शनी में करीब डेढ़ दर्जन स्टॉल लगाए गए थे। इन स्टॉलों के जरिए उत्तराखंड के धर्म, आध्यात्म, हस्तशिल्प, महिला सशक्तीकरण और आपदा प्रबंधन की एक समग्र तस्वीर पेश की गई। प्रदर्शनी में सूचना एवं लोक संपर्क विभाग, एमडीडीए, एसडीआरएफ, एएसआई और आंचल दूध जैसे कई सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों ने अपने स्टॉल लगाए थे।
प्रदर्शनी में मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण यानी एमडीडीए का स्टॉल आकर्षण का केंद्र बना रहा। एमडीडीए उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने बताया कि देहरादून को स्वच्छ और सुंदर बनाने के साथ साथ लोगों के घर के सपने को पूरा करने के लिए कई आवासीय परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। उन्होंने बताया कि धौलास आवासीय परियोजना और सहस्रधारा रोड पर ईडब्ल्यूएस फ्लैट्स की योजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है। इसके अलावा आंचल दूध के स्टॉल पर भी भीड़ देखी गई। आंचल ब्रांड से करीब पचास हजार किसान जुड़े हैं और देहरादून में हर दिन पंद्रह हजार लीटर से ज्यादा दूध की आपूर्ति की जा रही है।
प्रदर्शनी में भारतीय ग्रामोत्थान ऋषिकेश के हस्तशिल्प उत्पादों की भी खूब सराहना हुई। भांग और कंडाली के रेशों से बने जैकेट और पहाड़ी ऊन के गर्म कपड़ों को लोगों ने बहुत पसंद किया। रामनगर की मीनाक्षी ने अपनी संस्था माइंडकीर्ति के जरिए उत्तराखंड की प्रसिद्ध लोककला एपण को नई पहचान दी है। उन्होंने बताया कि एपण की मांग अब विदेशों तक पहुंच गई है और वह इसे रोजगार से जोड़कर महिलाओं को सशक्त बना रही हैं।
आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया यानी एएसआई के स्टॉल पर उत्तराखंड के प्राचीन मंदिरों के संरक्षण की जानकारी दी गई। एएसआई के श्यामचरण बेलवाल ने बताया कि प्रदेश के 44 मंदिरों की देखरेख उनके विभाग द्वारा की जा रही है जिनमें जागेश्वर धाम और हनोल मंदिर प्रमुख हैं। वहीं आपदा प्रबंधन में देवदूत बनकर काम करने वाली एसडीआरएफ के स्टॉल ने भी लोगों का ध्यान खींचा। सब इंस्पेक्टर अनूप रमोला ने जानकारी दी कि इस साल अक्टूबर तक एसडीआरएफ ने 780 रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर 22 हजार से ज्यादा लोगों की जान बचाई है।
प्रदर्शनी का सबसे बड़ा आकर्षण एक सेल्फी प्वाइंट रहा जिसे पहाड़ी शैली के पारंपरिक घर के रूप में तैयार किया गया था। लकड़ी और पत्थर से बना यह घर उत्तराखंड के ग्रामीण जीवन की सादगी और खूबसूरती को दर्शाता है। देशभर से आए मेहमानों ने इस सेल्फी प्वाइंट पर फोटो खिंचवाने में खासा उत्साह दिखाया। कुल मिलाकर पीआरएसआई की यह प्रदर्शनी समृद्ध और सशक्त उत्तराखंड की एक अनूठी झलक पेश करने में सफल रही।
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