धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश में स्थानीय परिवहन व्यवस्था को सुदृढ़ और प्रदूषण मुक्त बनाने की दिशा में राज्य सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। प्रदेश सरकार के परिवहन विभाग ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में ई-रिक्शा चलाने को लेकर नई और विस्तृत अधिसूचना जारी कर दी है। इस फैसले से प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में आम जनता और पर्यटकों को आवागमन में काफी सहूलियत मिलने की उम्मीद है। मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 113 के अंतर्गत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सरकार ने सुरक्षा मानकों और पहाड़ी भूगोल को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है।
कुल 400 परमिट जारी
परिवहन विभाग द्वारा जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक, पूरे प्रदेश में कुल 400 ई-रिक्शा परमिट जारी किए जाएंगे। सरकार ने विभिन्न जिलों के उप-मंडलों के लिए परमिट की संख्या निर्धारित कर दी है। क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरणों को निर्देश दिए गए हैं कि वे निर्धारित उप-मंडलों में ‘यात्री अनुबंधित कैरिज परमिट’ के तहत इन ई-रिक्शा को चलाने की अनुमति प्रदान करें।
पर्यटन स्थलों को मिलेगी प्राथमिकता
इस नई व्यवस्था में प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों का खास ख्याल रखा गया है। कांगड़ा जिले की बात करें तो धर्मशाला (मैक्लोडगंज सहित) के लिए 36 और पालमपुर के लिए 30 परमिट स्वीकृत किए गए हैं। इसी प्रकार कुल्लू जिले में भी बड़ी संख्या में परमिट दिए गए हैं। कुल्लू और मनाली उपमंडलों में 30-30 ई-रिक्शा चलाए जा सकेंगे, जबकि बंजार में 20, भुंतर, पतलीकुहल और नग्गर में 15-15 परमिट की मंजूरी मिली है।
अन्य जिलों में मंडी के जोगिंदर नगर में 15, पद्धर में सबसे अधिक 35, सरकाघाट और धर्मपुर में 5-5 परमिट दिए जाएंगे। चंबा सदर में 5 और भटियात में 9 परमिट होंगे। जनजातीय जिला किन्नौर के रिकांगपिओ/कल्पा में 15 और सांगला में 10 ई-रिक्शा चलेंगे। सिरमौर के नाहन में 15 और राजगढ़ में 2, शिमला के रोहड़ू में 20 और ठियोग में 6 परमिट दिए गए हैं। औद्योगिक क्षेत्र सोलन के बद्दी में 15, नालागढ़ में 10 और कंडाघाट में 3 परमिट मान्य होंगे। वहीं ऊना जिले के हरोली में 17 और जिला मुख्यालय व अन्य क्षेत्रों के लिए 20 परमिट तय किए गए हैं।
20 किलोमीटर के दायरे में ही संचालन
सरकार ने ई-रिक्शा के संचालन के लिए कड़े नियम भी तय किए हैं। सबसे महत्वपूर्ण नियम यह है कि ई-रिक्शा अपने पंजीकृत उप-मंडल मुख्यालय से केवल 20 किलोमीटर की परिधि (दायरे) में ही चल सकेंगे। इससे बाहर जाने की अनुमति नहीं होगी। एक बार जिस उप-मंडल में ई-रिक्शा का पंजीकरण हो जाएगा, उसका मुख्यालय स्थायी रहेगा और भविष्य में उसे बदला या स्थानांतरित नहीं किया जा सकेगा।
नियम तोड़ने पर होगी कार्रवाई
अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि तय किए गए उप-मंडलों में केवल ई-रिक्शा का ही नया पंजीकरण होगा। राज्य के जिन उप-मंडलों का नाम इस सूची में नहीं है, वहां ऑटो-रिक्शा या ई-रिक्शा का संचालन प्रतिबंधित रहेगा। हालांकि, राहत की बात यह है कि जिनके पास पहले से वैध परमिट है, वे पुराने ऑटो-रिक्शा चलते रहेंगे। सरकार ने साफ किया है कि यदि कोई वाहन अपने निर्धारित न्यायिक क्षेत्र या 20 किलोमीटर की सीमा से बाहर संचालित होता पाया गया, तो उसे मोटर वाहन अधिनियम के नियमों का उल्लंघन माना जाएगा और सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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