Himachal: हिमाचल प्रदेश में तकनीकी शिक्षा पर जोर मुख्यमंत्री ने खाली भवनों के सदुपयोग के निर्देश दिए

Shimla। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि वर्तमान राज्य सरकार का ध्यान छात्रों को बाजार-प्रासंगिक कौशल से लैस करने के लिए राज्य के भीतर गुणवत्तापूर्ण तकनीकी शिक्षा प्रदान करने पर है, जिससे उनकी रोजगार क्षमता बढ़े।

आज यहां तकनीकी शिक्षा विभाग के कामकाज की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने खाली पड़े भवनों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 से 2023 के बीच 126.45 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित सात भवन खाली पड़े हैं। उन्होंने विभाग को इन भवनों का जनहित में अधिकतम उपयोग करने के लिए एक कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि केवल निर्माण के नाम पर सार्वजनिक धन की बर्बादी स्वीकार्य नहीं है। यह दर्शाता है कि सरकार सार्वजनिक संसाधनों के कुशल उपयोग के प्रति गंभीर है।

सुक्खू ने विभाग को छात्रों के नामांकन, समग्र प्रदर्शन और इन संस्थानों में उपलब्ध अन्य सुविधाओं के अनुसार औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों और पॉलिटेक्निक कॉलेजों को ग्रेडिंग करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए तकनीकी शिक्षा विभाग को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार तकनीकी शिक्षा संस्थानों में खाली पदों को भरेगी और इन संस्थानों को हर संभव सहायता भी प्रदान करेगी। यह सुनिश्चित करेगा कि संस्थानों में पर्याप्त कर्मचारी हों और वे सुचारू रूप से कार्य कर सकें।

उन्होंने तकनीकी शिक्षा संस्थानों में नए युग के पाठ्यक्रम शुरू करने पर भी जोर दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि युवाओं को उभरते रोजगार क्षेत्रों के लिए प्रशिक्षित किया जाए। उन्होंने बिलासपुर जिले के बंदला में हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज में 30 छात्रों के साथ एम टेक (ईवी-टेक) पाठ्यक्रम शुरू होने पर खुशी व्यक्त की। यह पाठ्यक्रम छात्रों को इलेक्ट्रिक वाहन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विशेषज्ञता प्रदान करेगा, जो भविष्य के रोजगार के अवसरों के लिए महत्वपूर्ण है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार राज्य में नवाचार को बढ़ावा दे रही है और उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिए ‘राज्य नवाचार और स्टार्ट-अप नीति-2025’ पर काम चल रहा है। सरकार बिलासपुर जिले के घुमारवीं में नवाचार, उद्यमिता, कौशल और व्यावसायिक अध्ययन के एक डिजिटल विश्वविद्यालय की स्थापना पर भी विचार कर रही है, जिसके लिए 258 बीघा भूमि की पहचान की गई है। यह विश्वविद्यालय युवाओं को आधुनिक कौशल प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

उन्होंने हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम और हिमाचल प्रदेश तकनीकी शिक्षा बोर्ड के कामकाज की भी समीक्षा की और उनके कामकाज में सुधार लाने के लिए आवश्यक निर्देश जारी किए। यह सुनिश्चित करेगा कि इन महत्वपूर्ण निकायों का संचालन अधिक प्रभावी ढंग से हो।

बैठक में तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्मानी, हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम के राज्य संयोजक अतुल करोहटा, विशेष सचिव, तकनीकी शिक्षा सुनील शर्मा, निदेशक, तकनीकी शिक्षा अक्षय सूद और विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। यह बैठक राज्य में तकनीकी शिक्षा के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण रही।

 

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